शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

भावना आहत करने के नाम पर विमर्श पर रोक नहीं लगाया जा सकता है ।

बांग्लादेश में सबसे बड़े पुस्तक मेले के आयोजन के पहले पुलिस ने आयोजकों , लेखकों , प्रकाशकों के लिए चेतावनी जारी की है कि वे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले किताबों की बिक्री न करें ।
यह हद दर्ज की बेवकुफाना चेतावनी है । यह बांग्लादेश के शैसन द्वारा कट्टरपंथियों के सामने घूटने टेकना है ।हाल के दिनों में बांग्लादेश में कट्टरपंथियों के हौसले बढ़े हैं । उसी अनुपात में नास्तिक , वामपंथी , स्वतंत्र चिंतकों/ लेखकों /पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं । यहाँ तक कि खुलेआम हत्याएँ की गई हैं ।
ऐसे में शासन की चेतावनी उन कट्टरपंथियों के लिए होनी चाहिए जो विमर्श नहीं कर सकते हैं और हर आलोचना विरोध को बंदूक और खून के दम पर कुचलना चाहते हैं । उन्हें चेतावनी दी जानी चाहिए कि कानून व्यवस्था हाथ में न लें और किताब/लेख का जवाब लिख कर दें , गोली से नहीं ।
भावना भड़काने का आरोप लगाकर चिंतन मनन विमर्श शोध पर विराम नहीं लगाया जा सकता है । बांग्लादेश को याद रखना चाहिए कि वह पाकिस्तान से अलग दूसरा पाकिस्तान बनने के लिए नहीं हुआ था ।

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