शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

राजस्थान सरकार द्वारा हल्दी घाटी के नतीजे बदलने पर प्रतिक्रिया


खबर है कि राजस्थान सरकार ने हल्दीघाटी का नतीजा ही बदल दिया । तथ्य में ही फेरबदल कर दिया कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी का युद्ध जीता था । इतिहास या किसी भी अन्य विषय़ में बदलाव संभव है । लेकिन तभी जब नए तथ्य, नए विश्लेषण सामने आए । इस तरह नहीं कि एक छद्म राष्ट्रवाद का भ्रम कायम करने के लिए इतिहास के तथ्य को मनमाने तरीके से बदल दिया जाए ।
जब ज्ञान पर कुछ जातियों /समुदायों का कब्जा था , ज्ञान का संचरण बहुत ही धीमी गति से होता था , तब इस तरह की कारस्तानियाँ भले ही चल जाती हों , लेकिन आज के दौर में यह संभव नहीं है ।
ज्ञान/सुचनाएँ इतनी जगह , इतने रुपों में संकलित है कि जरा सी छानबीन पर सच उजागर हो जाएगा ।झूठ क्रॉस चेकिंग में टीक भी नहीं पाएगा ।
इतिहास कोई परिकथा नहीं है जहाँ सब अच्छा ही अच्छा होगा । जीत के साथ हार भी इतिहास का हिस्सा है । जरुरत है कि सच को स्वीकार किया जाए ।
आधुनिक काल में याद रखना चाहिए कि महाराणा प्रताप जितने अपने थे, उतने ही अपने अकबर भी थे और हैं । बाबर को आक्रमणकारी कहना तो तथ्यसम्मत कहा जा सकता है , लेकिन अकबर को नहीं । उस समय न राष्ट्र की वैसी अधारणा थी और न ही सीमा । जो इस संघर्ष को हिंदू मुसलमान के चश्मे से देखते हैं , उन्हें याद रखना चाहिए कि मुगल सल्तनत का मुख्य विरोधी तुर्क अफगान शासक वंश था । मुगलों ने तुर्क अफगान को शासन से अपदस्थ किया था जो मुसलमान ही थे ।
संघ कबीला पहले ही ऐसी कोशिश करता रहा है । संघ संचालित विद्यालयों में जो पुरक किताबें पढ़ाई जाती हैं , उसमें इसी तरह के गप्प - जिसका तथ्य और तर्क से कोई वास्ता नहीं है - भरे पड़े हैं । सत्ता हाथ में आते ही इतिहास के नाम पर वही पढ़ाना चाहते हैं ।
इतिहास एक गंभीर विषय है जो अध्ययन और अन्वेषण की माँग करता है । इसे राजनेताओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है । जिन्हें वर्तमान इतिहास लेखन से समस्या है , उन्हें भी तथ्य और तर्क जुटाने होंगे , विश्लेषण में स्थापनाएँ प्रतिपादित करनी होंगी, आलोचनाओं /विवेचनाओं की कसौटी पर खरा उतरना होगा, तभी कोई बदलाव उचित कहलाएगा । इस तरह मनमाने ढंग से नहीं ।
राजस्थान सरकार द्वारा हल्दी घाटी के नतीजे बदलने पर प्रतिक्रिया

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