रविवार, 5 फ़रवरी 2017

मोदी के मन की बात 1

आह ! कितना भाषण देना पड़ता है ! थक गया हूँ भाषण देते हुए ! बहुत दिन हुए कहीं विदेश घूमने नहीं गया । काम में संतुलन रहना चाहिए । घूमते घूमते थकने पर भाषण देना शुरु कर देना .चाहिए । भाषण देते देते थक जाने पर घूमने निकल जाना चाहिए ।
सोचता हूँ मकाऊ चला जाऊँ । विदेश नीति के हिसाब से कोई दमदार देश नहीं है । नहीं लेकिन बढ़या टूरिस्ट स्पॉट है । विदेश मंत्रालय को निर्देश दे देता हूँ , कोई न कोई मौका बहाना ढूँढ़ ही लेगा । उन्हें ढ़ंग से काम करना है तो मेरे लिए इतना तो करना पड़ेगा ।
अब चलूँ , दो चार ट्विट करता हूँ !
मोदी के मन की बात !

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