गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

यौन शोषण के आरोप मे फँसे ब्रजेश पांडे के बहाने भाई पत्रकार रवीश कुमार पर हमले पर टिप्पणी

हाल में बिहार में काँग्रेस के नेता ब्रजेश पांडेय पर एक दलित युवती ने बलात्कार और सेक्स रैकेट चलाने के आरोप लगाया।
दिलचस्प था कि इस खबर में अपराध के आरोपी से ज्यादा चर्चा इस बात की थी कि वे पत्रकार रवीश कुमार के भाई हैं । और इस बात को लेकर रवीश कुमार पर निशाना साधा जा रहा है । उन्हें इस पर प्राइम टाइम करने की चुनौती उछाली जा रही है । चूँकि पीड़िता दलित है , इसलिए रवीश - जो कई दलित एक्टिविस्टों के नजर में प्रच्छन ब्राह्मणवादी हैं - भी उन्हें कटघरे में खड़ा कर रहे हैं । वहीं संघ/भाजपा समर्थक जो रवीश की पत्रकारिता के निशाने पर रहे हैं अचानक से दलित हितैषी होकर रवीश पर पिल पड़े हैं ।
मेरा मानना है कि इस घटना में जिम्मेदारी आरोपी की है । रवीश कुमार सिर्फ उनके भाई होने के कारण दोषी नहीं हो जाते हैं । हाँ , लेकिन यह जाँच की समान्य प्रक्रिया है कि आरोपी /अपराधी के दोस्तों, निकट संबंधियों की सहभागिता की संभावना देखते हुए उन्हें भी जाँच के दायरे में लिया जाता है । यह जाँच पुलिस को करना चाहिए ।
दूसरी बात यह कि रवीश कुमार को इस पर प्राइम टाइम करने की चुनैती देना सही नहीं है । सीधी सी बात है कि पत्रकारिता निष्पक्षता की माँग करती है , जहाँ भी एक पक्ष से किसी तरह का जुड़ाव है, वहाँ निर्णायक की भूमिका न लेना ही सही है । जज भी इस मुद्दे पर केस की सुनवाई करने से इंकार करते हैं ।हाँ , यह माँग उचित है कि रवीश अपने प्रभाव का उपयोग आरोपी को बचाने में न करें ।
तीसरी बात यह है कि किसी सवर्ण को सिर्फ उसकी जातिगत पहचान में रिड्यूस करना सही नहीं है , जाति वाले एँगल को भी विश्लेषण में स्थान देने के बावजूद । रवीश कुमार - जिन्होंने जनपक्षधर पत्रकारिता में एक पहचान बनाई है - का समग्रता में ही मूल्यांकन किया जाना चाहिए । वे आलोचना से परे नहीं हैं । लेकिन यूंँ इस पर प्राइम टाइम क्यों किया , उस पर क्यों नहीं किया - कहकर उनकी पत्रकारिता पर सवाल उठाना उचित नहीं ।
दलित एक्टिविस्टों के लिए रवीश कुमार पर हमले से ज्यादा जरुरी है कि पीड़िता को न्याय मिले और दोषियों पर कार्यवाई हो , भले रवीश कुमार इस पर सफाई /प्राइम टाइम करे , न करे ।
संघ और भाजपा समर्थकों का रवीश से खुन्नस समझना मुश्किल नहीं है । उन्हें न पीड़िता से मतलब है , न न्याय से । उन्हें बस काँग्रेस और रवीश पर हमले का मौका मिला है जिन्हें वे भूना रहे हैं । वे बिना मुद्दे के भी उनके पीछे पड़े रहते हैं और आगे भी उनसे बेहतर की उम्मीद नहीं है ।


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