शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

ऐसे गढ़ा जाता है मेरिट का मिथ संस्थानों में जातिवाद


ऐसे गढ़ा जाता है मेरिट का मिथ संस्थानों में जातिवाद
संस्थानों में जातिवाद बड़े ही महीन ढंग से सुचारु रुप से चलता है ।
कैसे ? इसकी एक बानगी मौजूदा पोस्ट में दिखाने की कोशिश की गई है ।
पहले यह साफ कर दिया जाना चाहिए कि संस्थानों में हमेशा माहौल औपचारिक नहीं होता है और न ही काम तयशूदा नीतियों के हिसाब से होता है । बायपास करने के लिए लूपहोल का इस्तेमाल होता है ।
काम करते हुए एक सेमी फार्मल व्यवहार होता है सहकर्मियों और उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ भी । पर्सनल लाइजनिंग के नाम पर व्यक्तिगत संबंध पेशेवर संबंधों को प्रभावित करते हैं और कई बार तो उस पर हावी हो जाते हैं । पर्सनल लाइजनिंग में सामाजिक पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसमें जाति, लिंग , क्षेत्र , भाषा , वर्ग आदि सभी शामिल हैं ।
अब कोई मिश्रा उच्च पद पर आसीन हुए तो झाओं, शुक्लाओं , तिवारियों को मनचाही पोस्टिंग मिलनी शुरु हो जाती है । सुविधानुसार छूट्टियाँ मिलने लगती है । उन्हें बस अपनी इच्छा बतानी पड़ती है ।
यादवों, पासवानों आदि को फिर मनचाही पोस्टिंग के लिए फिर " थ्रू प्रॉपर चैनल " जाना पड़ता है और तब भी काम होने की कोई गारंटी नहीं है ।क्योंकि "संस्थान की आवश्यकता " सर्वोपरि है - कहकर कोई भी निर्णय लिया जा सकता है । कोई शिकायत भी नहीं हो सकता है , क्योंकि काम "नियमानुसार " हो रहा है ।
फिर यादवों और पासवानों को चून चून कर कठिन असाइनमेंट /दूर दराज की पोस्टिंग आदि दी जाएगी और खराब नतीजों के लिए सारा ठिकरा उनके सिर फोड़ा जाएगा और उन बाह्य कारकों का कोई संज्ञान नहीं लिया जाएगा जिस पर कर्मचारियों का कोई नियंत्रण नहीं है लेकिन जो नतीजों को प्रभावित करते हैं । झा और शुक्ला किसी आरामदेह जगह पर पोस्टिंग का मजा लेंगे और मूल्यांकन में अच्छे अंक भी मिश्रा की कृपा से पा लेंगे ।
कोई गलती होने पर जहाँ यादव और पासवान को मेमो मिलेगा, कार्यवाई होगी , वहीं झा और शुक्ला - बच्चों से गलतियाँ हो जाती हैं के नाम पर मिश्रा द्वारा न केवल बचा लिए जाएँगे, बल्कि उनकी गलती का रिकॉर्ड भी नहीं बनेगा ।
इस तरह वर्चस्वशाली समूह अपनी बिरादरी वालों के मेरिट ( ब्राह्मण , बनिये का दिमाग है ) और वंचित समूदायों के व्यक्ति की अक्षमता ( इन कोटे वालों को तो कुछ नहीं आता जाता, बस कोटे के दम पर आ जाते हैं ) का मिथ गढ़ता है ।
मेरे बहूजन मित्रों - इस व्यूह को समझें , सावधान रहें और यथाशक्ति प्रतिकार अवश्य करें । आपकी सहनशीलता आपकी कमजोरी मानी जाएगी । इसलिए पलटवार जरुर करें । हार जीत और सुकून से ज्यादा प्रतिकार मायने रखता है ।
#मेरे_बहुजन_मित्रों

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें