दिल्ली में एक तिरस्कृत प्रेमी ने
लड़की की विभत्स हत्या कर दी । यह कोई अकेली घटना नहीं है । प्रेम/शादी का
प्रस्ताव ठुकराए जाने पर कई लड़के उत्पीड़न ,
बलात्कार , एसिड अटैक ,यहाँ
तक कि हत्या तक पर उतारु हो जाते हैं । जिस तरह इज्जत के नाम पर होने वाली
हत्या/अपराध को जायज नहीं ठहराया जा सकता , उसी तरह प्रेम के
नाम पर होने वाले अपराध को जायज नहीं ठहराया जा सकता है ।
आप किसी से कितना भी प्रेम करें , उसे खुद से प्रेम करने के लिए विवश नहीं कर
सकते । यह नैतिक रुप से गलत तो है ही , उससे बड़ी वजह है कि
आप बलप्रयोग से प्रेम नहीं पा सकते । अगर बल प्रयोग हुआ तो वह बलात्कार है । कोई
प्रेम अपनी वजहों से ही करेगा । अगर आप किसी से प्रेम करते हैं तो उसके निर्णय का
सम्मान कीजिए, भले ही यह "न " हो । अगर वह आपके
बगैर खुश है तो उसे जाने देना चाहिए । और उसके फैसले की एक्सप्लेशन माँगना सही
नहीं है । उसकी जिंदगी, उसकी मर्जी ।
अब जरा उस पुरुष की दृष्टि से देखें !
क्या मिला उसे हत्या करके ? जेल ! हत्या करके
उसने अपनी भी जिंदगी बर्बाद की । यदि वह फैसला स्वीकार कर जाने देता तो उसके जीवन
में प्रेम की संभावना बनी रहती । अगर स्त्री के लिए नहीं तो अपनी सलामती के लिए ही
प्रेम में असफल होने पर हिंसक प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए । आहत अहं को सहलाने के
लिए और भी रास्ते हैं ।