शनिवार, 25 फ़रवरी 2017

उत्तर प्रदेश चुनाव में मुसलमान वोट

आजम खान का यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है कि बसपा को वोट न दें , भले ही भाजपा को दे दें ।नोता लोग चुनाव के मौसम में विपक्षी पार्टी और नेताओं के खिलाफ बयान देते ही हैं । । अपने दल को वोट देने और विरोधी को न देने की अपील करते ही हैं । लेकिन यहाँ सत्ताधारी दल का एक कद्दावर नेता अपने दल को वोट देने के बजाए एक विपक्षी पार्टी को दूसरी विपक्षी पार्टी के विरोध में मत देने के लिए कह रहा है ।
सवाल है कि आजम खान द्वारा भाजपा को बसपा पर वरियता देने का कारण क्या है ? गौरतलब है कि बसपा ने करीब एक चौथाई टिकट मुसलमानों को दिया है , और भाजपा ने एक भी नहीं । भाजपा नेतृत्व खुलकर ध्रुवीकरण का प्रयास कर रहे हैं । भाजपा नेतृत्व की शिकायत रही है कि मुसलमान उनको वोट नहीं देता है । उनकी कथनी और करनी को देखते हुए वे उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं ? वैसे उनकी नीति मुसलमानों को साथ लेने के बजाए उनका डर दिखाकर हिंदू वोट को अपने पालें में करना रहता है । सिर्फ चुनाव ते समय, जीतने के बाद नेतृत्व और व्यवस्था सवर्ण या सवर्ण हित साधने में उपयोगी लोगों के हाथ में रहता है ।
सपा सरकार दंगों को नियंत्रित करने और सांप्रदायिक तनाव को भी प्रभावी तरीके से रोकने में विफल रही । नागरिकों की सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का प्राथमिक काम है । नागरिकों में मुसलमान भी शामिल हैं । दंगा रोकना मुसलमानों पर अहसान नहीं , सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी है । यदि सराकर इतना भी नहीं कर सकती तो उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है । सपा - कारसेवकों पर गोली चला दी - को कब तक भूनाती रहेगी ?
हर बार की बात नहीं कह सकता । लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश चुनाव में मुसलमानों के लिए बेहतर विकल्प बसपा है । भाजपा तो हरगीज नहीं ।



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