रविवार, 31 जनवरी 2016

अपने अपने दुख

एक गुब्बारे का फुट जाना बच्चे के लिए सारी दुनिया लूट जाने जैसा है और उसके पिता के लिए एक मामूली बात !
आज खाना बढ़या नहीं बना है - यह पति के लिए समान्य कथन है और पत्नी के लिए जिसकी दुनिया रसोई से बंधी है मर्मांतक पीड़ादायी !
दुर्घटना में एक की मौत - यह खबर पत्रकार के लिए मामूली है और मृतक के संबंधियों के लिए वज्राघात !
किसी लखपति का सौ रुपया गुम जाए तो उसे पता नहीं चलता और दैनिक मजदूरी करने वाले को लगता है उसका सबकुछ लूट गया !
सबके अपने अपने दुख हैं !
#दुख

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

सबसे खतरनाक फेसबुकिए

सबसे खतरनाक फेसबुकिए  

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सबसे खतरनाक फेसबुकिए वे नहीं होते जो आपकी पोस्ट पर आपसे असहमति जताते हैं या बहस करते हैं , ये तो अच्छे लोग होते हैं !वे फेसबुकिए भी ज्यादा हानिकारक नहीं है जो गाली  गलौज कर जाते हैं या बिना पोस्ट/बात/मन्तव्य समझे कमेन्ट कर जाते हैं , वे भी नहीं जो व्यक्तिगत होने लगते हैं ! इन्हे आप अपनी सहूलियत से इग्नोर/अंफ्रेंड/ब्लॉक कर सकते हैं !
सबसे खतरनाक फेसबुकिए वे हैं जो स्लीपर सेल की भांति होते हैं ! ये आपकी हर पोस्ट , उसपर आए कमेंट और आपके जबाव पढ़ते हैं , लेकिन ये किसी भी पोस्ट पर अपनी उपस्थिती दर्ज नहीं कराएंगे ! लेकिन य सभी बाते नोट करते हैं और गांठ बांध के रखते हैं !ये आपके वास्तविक जीवन से जुड़े होते हैं !ये आपकी पत्नी भी हो सकती है और आपके पड़ोसी भी , आपके मित्र भी या आपके बॉस भी !खतरनाक ये इसलिए है कि ये वास्तविक ज़िदगी में फेसबुक का बदला निकाल  हैं !और बताते भी नहीं !
संभव है कि आपके बॉस ने आपका बिल इसलिए पास नहीं किया क्योंकि कोई पोस्ट उनको नागवार गुजरी !भले ही आपके लिस्ट मे न हो यदि कॉमन मित्र हैं तो आपकी पोस्ट वे भी पढ़ सकते हैं !संभव है कि आपकी पत्नी आपसे इसलिए बात नहीं कर रही क्योंकि आप किसी पोस्ट पर किसी महिला मित्र से चुहल कर रहे थे !संभव है कोई धार्मिक सहकर्मी आपके धर्म विरोधी पोस्ट के कारण वास्तविक जीवन मे आपसे दूरी बना ले ! ऐसे बहुत से उदाहरण हैं !
ये लोग समझते नहीं कि वास्तविक जिंदगी और वर्चुअल जिंदगी अलग है ! मत भिन्नता सहज और स्वाभाविक है ! कोई व्यक्ति हमेशा हर किसी की संवेदना का ख्याल नहीं रख सकता , यह एक नाजायज अपेक्षा है !
दिक्कत है कि ये बात अक्सर वे ही नहीं समझते जिसे आप अपने कहते  हैं !
अफसोस !