रविवार, 29 नवंबर 2015

क्रिकेट की खूबसूरती !

क्रिकेट की खूबसूरती !
बहुत से लोग ज़्यादातर जो 20-20 के दीवाने हैं , क्रिकेट की खूबसूरती सिर्फ रनों की बरसात मे मानते हैं , चौके छक्के मे मानते हैं !उन्हे गेंदबाजों और क्षेत्ररक्षकों की कदर ही नहीं !मेरी असहमति है !
क्रिकेट तब बेहद खूबसूरत लगता है
-जब तेज गेंदबाज 160 केएम की रफ्तार से गेंद फेंकता है और बल्लेबाज घुटने टेक देता है !
-जब मिडल स्टम्प उखड़ कर चकरघिन्नी बन जाता है !
- जब फॉरवर्ड शॉर्ट लेग पर फील्डर असंभव सा कैच पकड़ता है !
- जब स्पिनर गेंदबाजी कर रहा हो , बल्लेबाज को चारों ओर से फील्डर घेरे हुये हो  और बल्लेबाज स्पिनर की धुन पर नाच रहा हो !
- जब गेंद हवा मे होती है और सांस अटक जाती है - छक्का या कैच !?
आदि !
क्रिकेट सिर्फ बल्लेबाजों का खेल नहीं है , गेंदबाजों और फील्डरों का भी है ! वे भी हमारी प्रशंसा के हकदार हैं !ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं !

मंगलवार, 24 नवंबर 2015

सवाल है कि क्या वे सहिष्णु हैं !?

सवाल है कि क्या वे सहिष्णु हैं !? 
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उन्होने  कहा - हम सहिष्णु हैं तुम्हें बोलने दे रहे हैं , वरना  तुम्हारा गला भी घोंट सकते थे !
उन्होने  कहा - हम सहिष्णु हैं , तुम्हारे मुंह पर सिर्फ  स्याही फेंकी है , वरना तेजाब भी फेंक सकते थे !
उन्होने कहा - हम सहिष्णु हैं, तुम्हें सिर्फ पीटा है , वरना हत्या भी कर सकते थे !
उन्होने कहा - हम सहिष्णु है , सिर्फ पाकिस्तान जाने के लिए कहा है , चाहते तो भेज भी सकते थे !
उन्होने कहा - हम सहिष्णु हैं , सिर्फ तुम्हारा पुतला जलाया है, वरना तुम्हें भी जला सकते थे !
उन्होने कहा-हम सहिष्णु है , सिर्फ बलात्कार की धमकी दी है , वरना बलात्कार  भी कर  सकते थे !
उन्होने कहा - हम सहिष्णु है , सिर्फ गाली दे रहे हैं , वरना गोली भी मार सकते थे !
सवाल है कि क्या वे सहिष्णु हैं !?
                                               द्वारा - श्रवण

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

जेम्स बॉन्ड

इस पर बड़ी हायतौबा मची है कि जेम्स बॉन्ड की "स्पेक्टर " मे किसिंग सीन पर सेंसर बोर्ड ने कैंची चला दी ! वैसे जेम्स बॉन्ड क्या , हॉलीवुड की लगभग हर फिल्म मे एक आध दृश्य ऐसे होते ही हैं !लेकिन  हम जेम्स बॉन्ड की फिल्मे इस दृश्यों केलिए नहीं देखते , यदि ऐसा होता तो सीधे पॉर्न न देखते ?!हम जेम्स बॉन्ड की फिल्मे देखते हैं लार्जर दैन लाइफ हीरो और विलेन के लिए , खौफनाक स्टंट के लिए , अंतर्राष्ट्रीय साजिश , सुदूर देशों के खूबसूरत लोकेशन , अजब गज़ब कारें, गैजेट्स और उनके चमत्कार , आदि आदि !बॉन्ड की फिल्मे बिना हीरोइन के बनेगी तो भी लोग देखेंगे ! कम से कम मैं जरूर देखुंगा !वैसे इन  फिल्मों मे महिला पात्र भी काफी मजबूत और महत्वपूर्ण होते हैं !लेकिन हेलिकॉप्टर , टैंक उड़ाता जेम्स बॉन्ड , मार मार के भुरकस निकाल देने वाला जेम्स बॉन्ड, हर मुश्किल , साजिश से जूझता, बचता जेम्स बॉन्ड , जानलेवा हालातों से आँख मिचौली खेलता जेम्स बॉन्ड आदि हिरोइन के साथ सेक्स करते जेम्स बॉन्ड से ज्यादा दिलचस्प लगता है !
#जेम्स_बॉन्ड

गुरुवार, 19 नवंबर 2015

स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की असंभाव्यता

स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की असंभाव्यता
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स्वतंत्र और आत्मनिर्भर होने की चाह ईश्वर और मोक्ष की कामना की तरह असंभव और अप्राप्य है !हमारा जन्म ही दूसरों के माध्यम से होता है ! उन्हे रक्त सम्बन्धों के आधार पर भले ही अपना कहें , होते हैं वे भी दूसरे !हम जो खाते हैं वह खुद नहीं उपजाते !जो पहनते हैं वे दूसरे तैयार करते हैं !हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी लगभग सभी चीजों के लिए हम दूसरों पर निर्भर होते हैं !मरते भले ही अकेले हों , यह ख़्वाहिश तो बनी रहती है कि मरते समय हम अकेले न हो !
 एक आत्मनिर्भर और स्वतंत्र जीवन की अपेक्षा रखने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति का सबसे बड़ा दुख इस सच्चाई का एहसास है कि वह कभी भी पूर्ण रुपेन स्वतंत्र और आत्म निर्भर नहीं हो सकता !
बुखार मे उपजा ख्याल !

सोमवार, 16 नवंबर 2015

मेहरबानी होगी जो कुछ न पुछो !

 कुछ मत पुछो !
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- आपका घर कहाँ है !? आपका होम टाउन कहाँ है !?
-घर मे कौन कौन है !?
- आप छुट्टी मे घर नहीं गए !?
- आप दिवाली नहीं मनाते !?
-आपकी शादी हो गई !?
- शादी क्यों नहीं हुई !?
-आप स्मार्ट फोन क्यों  नहीं रखते हैं !?
-आप शौल क्यों ओढ़ते हैं ?
आदि आदि !
ऑफिस हो या रिहाइश का कमरा , पड़ोसी हो या सहकर्मी तरह तरह के सवाल ! हालांकि मानता हूँ  कि ये लोग सवाल बहुत सहजता से करते हैं , कोई अन्य मतलब नहीं होता , सच पूछिए तो इन्हे जवाब जानने की भी इच्छा नहीं होती , बस यूं ही बात कहने के लिए कुछ पूछ लेते हैं ! अमूमन टाल देता हूँ !चुप रहकर , घूर कर ! जाने दीजिये, कोई और बात कीजिये , आदि  कहकर !असहिष्णु, असामाजिक , घमंडी आदि का तमगा मुफ्त मे मिल जाता है ! खैर !इसे मैं  हर किसी के सवाल का जवाब देने , सफाइयां  देते रहने से बेहतर मानता हूँ !लेकिन कई बार बर्दाश्त से बात बाहर होने लगती है और तबीयत से गरियाने की इच्छा को बमुश्किल दबा पता हूँ !क्या पता किसी दिन सब्र छलक जाये !और सुना ही दूँ किसी को !
-आपका घर कहाँ है ?
-दस गज जमीन के नीचे !
-आप छुट्टी में  घर नहीं गए !
- न ! मसान मे शव साधना करनी थी इसलिए  नहीं गया !
-आप दिवाली नहीं मनाते !
- न ! मैं तमराज किलविष का भक्त हूँ , इसलिए नहीं मनाया !
-आपकी शादी हो गई !?
-रिश्ता लेकर आए हैं क्या !?
-शादी क्यों नहीं हुई !?
-अब ससुरों ने दहेज बचाने के लिए बेटियाँ ही पैदा न की तो मैं क्या करूँ !?
-आप स्मार्ट फोन क्यों नहीं रखते !?
- मैं भुच्च गँवार ! स्मार्ट हूँ नहीं तो स्मार्ट फोन  कैसे रखूँगा !
-आप शौल क्यों ओढ़ते हैं !
- कमीज फट गई है !ढंकने के लिए ! रफू के पैसे नहीं हैं !
आदि आदि !
शराफत और शालीनता  का भार कभी कभी असहनीय हो जाता है !
मेहरबानी होगी जो  कुछ न पुछो !

रविवार, 15 नवंबर 2015

वे अवार्ड क्यों नहीं लौटा रहे !- प्रत्युत्तर

वे अवार्ड क्यों नहीं लौटा रहे !-प्रत्युत्तर
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पहले वे पूछ रहे थे तब क्यों  नहीं लौटाया , अब क्यों लौटा रहे हो !अब वे पूछ रहे हैं कि पेरिस हमले के बाद पुरस्कार क्यों नहीं लौटा रहे !संदर्भ पेरिस हमले का है !और सवाल उन बुद्दिजीवियों से किया जा रहा है जो समाज मे बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिकता के विरोध मे पुरस्कार लौटा रहे थे !लेकिन निशाना सिर्फ साहित्यकार नहीं सारे सेक्युलर , उदारवादी हैं !
खैर !अब जवाब दिया जाए !
पुरस्कार कोई संस्था या सरकार देती है !पुरस्कार हम उसे ही लौटा सकते हैं जिसने दिया !और यह सु स्थिति मे लौटाया जाता है जब आप उस सरकार या संस्था की किसी कार्यवाही से घनघोर असहमति और विरोध जताना चाहते हैं ! पुरस्कार वापसी के संबंध मे पुरस्कार सरकार या सरकार की किसी संस्था ने दिया था ! विरोध बढ़ी हुई सांप्रदायिकता , लेखों पर हमले और हत्या , इसपर सरकार और संस्थाओं की चुप्पी से था और पुरस्कार सरकार को लौटाया गया !
अब आते हैं , पेरिस हमले पर !यह हमला जिन आतंकवादियों ने किया है वे कोई सरकार नहीं हैं आतंकवादी संगठन है !वे कोई पुरस्कार नहीं देते !उनकी नीतियों का विरोध पुरस्कार लौटकर तो हरगिज नहीं किया जा सकता ! मान लीजिये फ्रांस ने किसी पर हमला किया तो संभव है उस नीति से असहमत बुद्धिजीवी -यदि वह फ्रांस सरकार या वहाँ की संस्था से पुरस्कृत है तो - विरोध मे पुरस्कार लौटा सकता है !
पेरिस हमले को लेकर भारत के बुद्धिजीवियों से ऐसे सवाल करना हास्यास्पद है !क्या आईएसआईएस ने किसी भारतीय लेखक आदि को कोई पुरस्कार दिया है जो वे लौटाएँ !? और भारत का बुद्धिजीवी वर्ग क्योंकर किसी अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घटना के लिए जवाबदेह हो गया !? अगर इतनी से बात समझ मे नहीं आती तो कहा जाय ! भाई पहले समझिए , फिर लिखिए !


शुक्रवार, 13 नवंबर 2015

वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला

वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला
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" वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला ..... " एक मराठी गाना है जो महाराष्ट्र मे काफी लोकप्रिय है ! धुन मजेदार है,  थिरकाने वाला ! मस्ती के मूड के लिए एकदम उपयुक्त !
महाराष्ट्र मे था तो काफी सुनाई देता था !जिसमे अचरज कुछ भी नहीं !अचरज तो तब हुआ जब यह गाना असम मे सुना ! वह भी कालीपुजा के प्रतिमा विसर्जन मे ! लोग नाच रह थे इसकी धुन पर !पता नहीं वे समझ रहे भी थे या नहीं ! असम मे बंगाली गाना सुनना कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि यहाँ बंगाली आबादी बहुत बड़ी संख्या मे रहती है !हिन्दी यहाँ तक कि भोजपुरी गाने भी बहुत सुनाई देते हैं क्योंकि हिन्दी भाषियों -ज़्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार के - की भी अच्छी ख़ासी जनसंख्या है ! अब असम है तो आसामिया गाने तो रहेंगे ही !
                                    लेकिन मराठी गाना !? सचमुच हैरत की बात है ! इक्का दुक्का मराठी मानुष यहाँ भले ही हैं सरकारी नौकरी की मजबूरीयों की वजह से हैं लेकिन वे इस हद तक असर नहीं रखते कि एक मराठी गाने को लोकप्रिय कर दे !
वजह यही समझ मे आती है कि इन दिनों नेट की वजह से भौगौलीक दूरियाँ ज्यादा माने नहीं रखती !और संगीत वैश्विक भाषा है !! इस गाने की धुन इतनी अच्छी झूमा देने वाली  है कि आप गाना भले ही न समझे आपको गुनगुनाने  /नाचने का मन जरूर करेगा !
!!!  इस गाने की गायिका है मानसी नाईक ! निस्संदेह मराठी भाषा और संस्कृति के राजदूत ये कलाकार है ! कोई ठाकरे नहीं जो -मराठी के नाम पर गुंडागर्दी करता है ! जिसका नारा -मराठी बोला किंवा परत जा ( मराठी बोलो वरना वापस माने दूसरे राज्य जाओ ) गैर मराठियों  के मन मे मराठी भाषा के प्रति वितृष्णा ही पैदा करते हैं , मराठी भाषा के प्रति कोई लगाव नहीं पैदा कर पाता !!असम के लोग असम मे एक मराठी गाने पर नाचे वह भी स्वेच्छा से यह मानसी नाईक या उन जैसे कलाकार ही कर सकते हैं कोई ठाकरे नहीं , अपने समस्त धनबल , बाहुबल और राजनीतिक ताकत के बावजूद नहीं !
 यू ट्यूब पर गाना मौजूद है ! जरूर  सुनिए !
तो सलाम मानसी नाईक !
                                                   द्वारा - श्रवण
                                                          

बुधवार, 4 नवंबर 2015

राष्ट्रीय पार्टी कहाँ है !?

हमारे देश मे फिलहाल राष्ट्रीय पार्टी के नाम पर दो ही पार्टी नजर आती है !एक भाजपा जो फिलहाल सत्तासीन है !लेकिन इसके साथ  दिक्कत यह है कि इसके राष्ट्र मे अल्पसंख्यक और दलित या तो स्वीकार्य नहीं है या दोयम दर्जे मे स्वीकार्य है !ऐसे मे इसे राष्ट्रीय मानना मेरी नजर मे सही नहीं है !यह सिर्फ इस मायने मे राष्ट्रीय है कि पूरे भौगोलिक भारत को दृष्टि मे रखती है , क्षेत्रीय पार्टियों के मुक़ाबले ! दूसरी ओर कांग्रेस है जिसकी हालत फिलहाल खस्ता है !जिस राहुल गांधी पर भरोसा किया जा रहा है वे ज्यादा उम्मीद नहीं जगाते !गांधी परिवार को अपदस्थ कर कोई जमीन से जुड़ा नेता इसकी कमान संभाले यह दूर की कौड़ी लगती है !फिलहाल तो कांग्रेस खुद का अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है !तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा अपनी राष्ट्रीय पहचान खोने के कगार  पर है !यह बस उत्तर प्रदेश की पार्टी और मायावती प्राइवेट लिमिटेड  होकर रह गई है !वामपंथी पार्टियां इस कदर अप्रासंगिक हो चुकी है कि उनका जिक्र तक नहीं होता !वे "अन्य पार्टियां " मे सिमट जा रहे हैं कहीं तो वह भी नहीं !दो राज्य मे मौजूद हैं वह भी पता नहीं कब तक !अन्य क्षेत्रीय पार्टियां - मसलन शिवसेना , डीएमके, एडीएमके ,बीजेडी , जेडी यू ,तृणमूल , समाजवादी आदि अपने अपने राज्य की पार्टियां हैं !इसमे से अधिकांश एक परिवार प्राइवेट  लिमिटेड है ! ये अपने राज्य से बाहर जाने की ख़्वाहिश भी नहीं रखते , राष्ट्रीय होने की बात तो दूर है !
सबसे बड़े लोकतन्त्र का दावा करने वाले देश मे यह विकल्पहीनता दुखद है !अफसोस ज्यादा इसके लिए भी कि हालत मे सुधार की भी गुंजाइश नहीं दिखती !
                                                        द्वारा श्रवण

बैंक बैंकर मुद्रा ऋण

बैंकर अ : भाई !ये जों मुद्रा लोन दे रहे हैं !एनपीए हो गया तो !? जांच बैठा दी गई तो !? सस्पेंड कर दिया गया तो !? डिसमिस कर दिया गया तो !?
बैंकर ब : तो  हम भी मुद्रा लोन लेकर चाय का ठेला लगा लेंगे, गोलगप्पे बेचेंगे ,  ऑटो चलाएँगे !!पैसे भले थोड़े कम कमाएंगे लेकिन सुकून रहेगा !
:-P :-P
#बैंक_बैंकर द्वारा श्रवण

मंगलवार, 3 नवंबर 2015

सरकार की आलोचना के बारे मे कुछ टिप्पणियाँ !

नोट किया जाये !
-सरकार देश नहीं होता ! सरकार की आलोचना देशद्रोह नहीं है !

-कोई सरकार बहुमत से चुनकर आई है इसका मतलब यह नहीं कि सरकार को पाँच साल मन माने ढंग से काम करने दिया जाए !

-लोकतन्त्र जनता का शासन है और शासन कार्य मे जनता का हस्तक्षेप जरूरी है ! आलोचना करना शासन मे सहभागिता है !

- सरकार की तारीफ करने केलिए  तो पूरा प्रचार तंत्र है !जनता को यह कार्य करना जरूरी नहीं !दुबारा चुनना सरकार को दी जाने वाली जनता की सबसे बड़ी शाबाशी  है !

-सरकार विपक्ष के प्रति नहीं , जनता के प्रति जवाबदेह है ! इसलिए सरकार पिछली सरकार की गलतियों की आढ़ मे नहीं छिप सकती ! उन्हे गलत माना इसलिए उसे हटकर आपको लाया गया !

कुछ बहसों पर टुकड़ा टुकड़ा टिप्पणियाँ !

इन दिनों क्या पढ़ रहे हैं !?

- इन दिनों क्या  पढ़ रहे हैं !?
- बैलेंस सीट !कुछ व्यवसायियों के ऋण प्रस्ताव के संबंध मे !
- इसके आलावा भाई !?
- सर्कुलर ! बैंक के काम काज से संबन्धित नियम कानून !
- काम के अलावा कुछ नहीं पढ़ते !?
- बस थोड़ा अखबार ! कुछ पत्रिकाएँ ! फेसबुक !
-किताबें पढ़ना छोड़ दिया क्या !? और जो किताबें खरीदते रहते हो हर यात्रा पर !?
- सिरहाने रखता हूँ !
- फायदा !
- कहीं भूल न जाऊँ कि किताबे भी होती हैं ! पढ़ने के लिए होती है !उम्मीद बनी रहती है कि आँख के आमने रहेगी तो कभी न कभी पढ़ ही लूँगा !
एक संवाद !              द्वारा श्रवण

सोमवार, 2 नवंबर 2015

मोदी जी जो लोन दे रहे हैं !

मोदी जी जो लोन दे रहे हैं !

अपने ऑफिस ( बैंक )  मे बैठा हूँ !प्रधानमंत्री द्वारा प्रायोजित मुद्रा योजना के बारे मे पढ़-सुनकर लोन लेने वालों की लाइन लगी है ! एक बातचीत !

-मोदी जी जो लोन दे रहे हैं !वह लेने आए थे !
-पहले बैठिए ! भाई  !योजना प्रधानमंत्री द्वारा लागू की गई है ! उनके नाम से है ! लेकिन लोन बैंक दे रही है , मोदी जी नहीं !दूसरे यह  अनुदान नहीं है , लोन है , कर्जा है , ऋण है जिसे आपको नियमानुसार समय से लौटना है !न लौटाने पर नियमानुसार कार्यवाई होगी !यह सोचकर मत लीजिये कि लौटना नहीं पड़ेगा , माफ हो जाएगा !वैसे आप करते क्या है !?
- कुछ नहीं ! लोन मिलता तो कुछ करते !
- भाई ! ऐसा है !बैंक सिर्फ पैसा देगी ! बाकी धंधा तो आपको करना है !इसलिए पहले तय कीजिये कि क्या करना है , कैसे करना है , अपनी कितनी पूंजी लगानी है , कितनी आय संभावित है और बैंक का ऋण किस हिसाब से लौटना है !तब ऋण के लिए बैंक आइये !वैसे कितने पैसे चाहते हैं बतौत कर्ज !?
-दस लाख मिल जाता तो अच्छा था ?
-क्या करेंगे दस लाख का !?
-थोड़ा पैसा फिक्स करते ! थोड़ा काम मे लगाते !
- भाई ! सिर्फ पैसे से बिजनेस नहीं होता !पैसा लेंगे तो बैंक को ब्याज देना पड़ेगा !और फिक्स मे बैंक आपको ऋण से कम ब्याज देगी !ऐसे मे आपको घाटा होगा !पैसे उतना ही लीजिये जितना आपको दरकार है और ऐसे काम मे लगाइए जिससे आपको आय हो ! फिक्स करने के लिए ऋण नहीं मिलता !जमीन खरीदने के लिए ऋण नहीं मिलता ! (हाउसिंग लोन छोडकर !) सूद पर पैसा लगाने के लिए ऋण नहीं मिलता !
- एमपी /एमएलए /पार्षद जी तो ये सब नहीं बताए थे !प्रचार मे भी यह सब नहीं था !
- इस बारे मे मैं कुछ नहीं कह सकता !मैं बैंक के नियमों से बंधा हूँ !और आपको ऋण उसी के हिसाब से मिलेगा! अगर आपको लगता है मैंने कुछ गलत कहा /बताया है तो आप उच्चाधिकारी, लीड बैंक आदि से संपर्क  करने के लिए स्वतंत्र हैं !
इस तरह के कई अगंभीर लोग ऋण के लिए आते हैं जो मुद्रा ऋण को लंगर का प्रसाद समझ रहे हैं ! मैं मुद्रा योजना का समर्थक हूँ ! लेकिन इसका प्रचार जिस तरह से पोलिटिकल माइलेज लेने के लिए किया जा रहा है , उससे बैंक को नुकसान पहुंचेगा , एनपीए बढ़ेगा , फ़्रौड होगा !जरूरी है कि इसे राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाया जाये और गलत इरादों से ऋण लेने वालों से बचाया जाए और वास्तव मे व्यापार/उद्यम करने वालों को इनका लाभ मिले !
                                बैंक_बैंकर                             द्वारा श्रवण

रविवार, 1 नवंबर 2015

क्या भारत मे हिन्दू खतरे मे है !?

क्या भारत मे हिन्दू खतरे मे है !?

किसी धर्म को और उसके मानने वाले को  खतरा है , यह तब माना जाएगा जब
- उन्हे अपने धर्म को मानने की छुट नहीं हो !
- उन्हे अपने पुजाघर बनाने , समारोह करने , धार्मिक आयोजन करने आदि पर रोक हो !
- प्रशासन, शिक्षा , अर्थव्यवस्था , आदि में उनके धर्म के आधार पर सहभागिता से' रोका जाए !
- उनकी जनसंख्या लगातार खतरनाक ढंग से घट रही हो  !
अब जरा भारत मे हिन्दू धर्म की स्थिति पर गौर कीजिये !
- बहुसंख्यक हिन्दू है और उनकी आबादी बढ़ रही है !
- शासन, शिक्षा , अर्थव्यवस्था , न्यायप्रणाली सभी मे हिन्दू हावी हैं !
-  सालो भर सार्वजनिक रूप से हर तरह के पर्व, त्योहार, बाबाओं के प्रवचन आदि चालू हैं !
- हर चौक चौराहे पर मंदिर है !
- सेक्युलर सरकार होने के बावजूद सारे सरकारी आयोजनों मे हिन्दू प्रतीक और हिन्दू परंपराओं का प्रभाव है !जैसे हर सरकारी कारखाने मे हिन्दू देवता -विश्वकर्मा की पूजा होती है !
यानि हिन्दू किसी भी तरह अपने धर्म के कारण वंचित नहीं हैं !फिर भी एक संगठन और एक दल इस बात का प्रचार करती है कि भारत मे हिन्दू धर्म और हिन्दू सुरक्षित नहीं हैं !और पढे लिखे लोग भी बिना कोई सवाल किए इसे सही मान रहे हैं !
कितना हास्यास्पद है !
                                                           द्वारा - श्रवण
प्यार एक भ्रम है ईश्वर की तरह !वह यथार्थ नहीं आकांक्षा है !
                                                         श्रवण