शुक्रवार, 20 मई 2016

पावर



हर कोई पावर चाहता है !कोई अथाह धन समेटकर ताकत महसूस करना चाहता है ! कोई अपनी खूबसूरती को अपनी ताकत बनाता है !कोई बाहुबल के भरोसे तो कोई राजनीतिक सत्ता के भरोसे पावर पर कब्जा करना चाहता है !क्योंकि हमें लगता है कि पावर हमें सुरक्षित रखेगा , सुख देगा !
लेकिन हम देखते है "एक्स-मेन " की फिल्मों मे एक से बढ़कर एक ताकतवर प्राणी जो अपनी ही ताकत से डरे हुये हैं !वे असामान्य रूप से ताकतवर हैं लेकिन खुद की पहचान से भागते रहते हैं और एक सामान्य जिंदगी जीना चाहते हैं !उनका सबसे बड़ा दुख यही है कि वे सामान्य जिंदगी नहीं जी सकते !
पावर आग की तरह है ! इसका इस्तेमाल संभाल कर करना पड़ता है ! वरना सबसे पहले उसे ही जलाती है जिसके हाथ में होती है !और उसका इस्तेमाल विनाश के लिए भी हो सकता है और निर्माण के लिए भी !
"एक्स मेन" देखते हुये आया ख्याल !
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नारद जयंति



जो लोग नारद को पत्रकार मानते हैं और उनके नाम पर पत्रकारिता का पुरस्कार भी देते हैं और उनकी जयंति मनाते हैं , उनसे उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे निष्पक्ष और विश्वसनीय खबरें देंगे ! तथ्य और तर्कपूर्ण विश्लेषण करेंगे !
नारद एक मिथकीय चरित्र ही ठहरते हैं !फिर भी कथाओं के माध्यम से उनका जो चरित्र उभरता है वह पत्रकार का नहीं एक चुगलखोर , झगड़ा लगवाने वाले शख्स का लगता है !
मजे की बात यह है कि आस्थावान हिंदुओं में भी नारद सम्मानीय नहीं है !समाज में नारद मुनि की उपाधि झगड़ा लगवाने वाले चुगलखोर लोगों को ही दी जाती है !

वैसे इन दिनों जिस तरह की पत्रकारिता होती है उसे नारद ही सही ढंग से रिप्रेजेंट करते हैं जो पत्रकारिता नहीं प्रोपगैंडा है !अपवादों को छोडकर !
देखिये नारद देवों और दानवों में समान रूप से विचरण करते हैं लेकिन नारायण नाम का जाप करते हैं वैसे ही जैसे पिछले दिनों पत्रकार नमो नमो करने लगे थे ! इधर थोड़ा कम हुआ है !
नारद हमेशा देवताओं फायदे के लिए ही खबरें मैनेज करते नजर आते हैं ! जैसे उन दिनों पत्रकार प्रायः सत्ता पक्ष के लिए ही काम करता नजर आता है !
कई कथाएँ हैं जिसमें नारद की वजह से वैमनस्य बढ़ा और टकराव की नौबत आई ! इन दिनों संवेदनशील मुद्दों को जैसे मीडिया हैंडल करती है वह कई बार आगलगाऊ लगता है !
खैर ! जो गप्प को ही इतिहास समझते हैं वे ही नारद को पत्रकार मानेंगे !
नारद जयंति

सोमवार, 9 मई 2016

परशुराम जयंति कुछ नोट्स



परशुराम जयंति कुछ नोट्स

जब किसी पात्र का जन्मदिन तो मनाया जाए पर साल न बताया जाये ,किसी ठोस कालखंड के बजाय सतयुग, कलियुग आदि बताए , जब संबन्धित कथा में किसी ज्ञात व्यक्ति का जिक्र न हो , ठोस एतिहासिक प्रमाण न हो, तो माना जाना चाहिए कि वह एक मिथ है , इतिहास नहीं !परशुराम भी एक मिथ है !
यह देखना दिलचस्प है कि जो मिथक के पुनर्पाठ द्वारा महिषासुर जयंति का मज़ाक उड़ा रहे थे, उसे जातिभेद बढ़ाने वाला बता रहे थे वे भी परशुराम जयंति मना रहे हैं !गौरतलब है कि परशुराम की पूजा एक ही जाति – ब्राह्मण (साथ में भूमिहार जो ब्राह्मण होने का दावा  करते हैं ) के लोग करते हैं !यह भी कि परशुराम की ख्याति एक दूसरे वर्ण –क्षत्रिय – के 21 बार नरसंहार के लिए हैं !यानि ब्राह्मण करे तो संस्कृति और बहुजन करे तो विकृति !
कथा है कि परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों का इस धरती से सामील नाश कर दिया !फिर ब्राह्मणों ने क्षत्रिय स्त्रियॉं से नियोग द्वारा क्षत्रियों  को पुनः जन्म दिया ! माने आज के क्षत्रिय ब्राह्मणों के वर्ण संकर संतान हैं !यह मैं नहीं कथा कह रही है ! जिज्ञासा है कि आज के जातीय गौरव से भरे क्षत्रिय कुमार/राजपूत/ठाकुर आदि परशुराम और इस कथा के बारे में क्या प्रतिक्रिया देते हैं !?
कथा है कि परशुराम ने पिता की आज्ञा से आपनी माँ का वध किया , जिन्हे पता चला कि उनकी पत्नी के मन में गन्धर्वों को देखकर मन में “विकार” आया था !नारीवादी दृष्टि से राम आदि की काफ़ी विवेचना हुई है !मेरे जानकारी में इस दृष्टि से परशुराम की समीक्षा नहीं गुजरी ! अभी तक एक पोस्ट भी नजर से नहीं गुजरा !मतलब यही निकलता है कि पर पुरुष  के बारे में सोचना भी किसी स्त्री को वध  योग्य  बना देता है !जो अंततः स्त्री के जीवन से ज्यादा उसकी यौन शुचिता को महत्व देना है !
प्रतिकों का अपना महत्व है !परशुराम के हाथ में शास्त्र नहीं  हैं, शस्त्र हैं –फरसा और धनुष-बाण ! परंपरागत रूप से ब्राह्मण का दावा ज्ञान , शिक्षा आदि पर है !लेकिन परशुराम की ख्याति योद्धा के रूप में है जिन्होने पारंपरिक रूप  से सत्ता पर नियंत्रण रखने वाले और युद्ध कौशल पर दावा करने वाले क्षत्रियों का सहार किया !इनकी जयंति मनाने से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ब्राह्मण अपने वर्चस्व  के लिए ज्ञान से ज्यादा बाहुबल/शक्ति पर भरोसा करते हैं !इतिहास गवाह है कि ब्राहमनवाद ने राज्य सत्ता के सहयोग और तालमेल से ही अन्यों को पराजित किया और अपना वर्चस्व बनाया !यह भी निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बहुजन यदि ब्राहमनवाद और उनके वर्चस्व की तोड़ना चाहते हैं तो राजनीतिक सत्ता कब्जे में करनी होगी !

गुरुवार, 5 मई 2016

मेरे बहुजन मित्रों किसी सवर्ण से शादी करना आपकी जिंदगी का मकसद नहीं होना चाहिए !



किसी सवर्ण से शादी करना आपकी जिंदगी का मकसद नहीं होना चाहिए !

मेरे बहुजन मित्रों !किसी सवर्ण से शादी करने में कुछ भी गलत  नहीं है !किसी का प्रेम या विवाह प्रस्ताव इसलिए नहीं ठुकराना चाहिए कि वह सवर्ण है !लेकिन उसका प्रस्ताव सिर्फ इसलिए नहीं स्वीकार करना चाहिए क्योंकि वह कथित सवर्ण है !
किसी सवर्ण से शादी करना इसलिए उपलब्धि नहीं है क्योंकि सिर्फ सवर्ण होने से कोई आपसे बेहतर नहीं हो जाता ! याद रखिए कि कोई सवर्ण आपसे  शादी कर रहा है तो आपपे कोई अहसान नहीं कर रहा है !आपसे शादी में उसका भी लाभ लोभ पूरा होता है , तभी शादी कर रहा है !
किसी ऐसे शख्स से शादी करने का कोई मतलब नहीं जो सारी जिंदगी आपको ट्रॉफी की तरह इस्तेमाल करे और सारी जिंदगी यह अहसान जताए कि कैसे उसने  ऊंची जाति का होकर भी आपसे आपकी “निची “ जाति के बावजूद शादी की !
बचिए ऐसी शादी से जिसमें आपको “ऑनर किलिंग “ का खतरा हो, आपके और  आपके परिवार का जीवन और सुरक्षा संकट में आए !वजह यह नहीं कि आपको डरना चाहिए , वजह यह है कि किसी सवर्ण से शादी कोई ऐसा मकसद नहीं है जिसके लिए आप अपनी जान जोखिम में डालें !उनमें कोई सुर्खाब के पर नहीं लगे होते !
प्यार करना अच्छी बात है लेकिन अपने आत्मसम्मान /स्वाभिमान की कीमत पर नहीं !
प्यार अच्छा है लेकिन आपकी जिंदगी ज्यादा कीमती है !
आखिर में –जिंदगी आपकी , फैसला आपका , क्योंकि नतीजे भी आपको भुगतने हैं !
#मेरे_बहुजन_मित्रों

बुधवार, 4 मई 2016

मेरे बहुजन मित्रों - जातिवाद खत्म नहीं हुआ , इसका भेस बदल गया है !

जातिवाद खत्म नहीं हुआ , इसका भेस बदल गया है !

मेरे बहुजन मित्रों ! आप सफल हैं ! आप सम्पन्न हैं !आप अच्छी नौकरी में हैं !आपका अपना व्यवसाय है !और आपको लगता है कि आप जातिवाद के शिकार नहीं है तो थोड़ा सजग होकर जायजा लीजिये !आप पाएंगे जातिवाद बड़े महीन ढंग से चल रहा है और आपको शिकार बना रहा है !
आप नौकरी में है तो गौर कीजिये !कैसे किसी खास सरनेम वाले को सुविधा की पोस्टिंग मिलती है और दूरदराज़ के , कठिन समझे जाने वाले असाइनमेंट आपके हिस्से आते हैं!गौर कीजिये समान गलती के लिए कैसे आप दंडित किए जाते  हैं और बॉस की बिरादरी वाले की गलती बिना दर्ज किए रफा दफा होती है, सजा मिलना तो दूर की बात है !
आप व्यवसाय में है ! गौर कीजिये महाजन के जातिवाले को कितनी आसानी से क्रेडिट पर माल मिलता है और  आपको बिना पेमेंट के  माल भी नहीं मिलता !यह भी देखिये कि कैसे आपका बिल अटका रहता है और खास बिरादरी वालों का पेमेंट हथोहाथ होता है !
गौर कीजिये कैसे खास जाति वालों को पहले ही पता होता है किधर जमीन अधिग्रहण होने वाला है और वे आउने पौने दाम पर जमीन खरीदते हैं और सरकार को बेच कर करोड़ों कमाते है !
ऐसे बहुत से उदाहरण हैं !मेरे बहुजन मित्रों जातिवाद खत्म नहीं हुआ है ,उसका भेस बदल गया है !उसे पहचानिए !उसका विरोध कीजिये !कुछ लड़ाइयाँ बिना हार जीत की परवाह किए  बिना लड़ी जानी चाहिए !आप हार भी गएं तो भी उसका असर होगा !जातिवाद मरेगा नहीं लेकिन कमजोर तो होगा !
#मेरे_बहुजन_मित्रों