मूतना
पोस्ट सिर्फ व्यस्कों के लिए
---------------------------------------------
-मूतते सभी हैं लेकिन यों दिखाते हैं जैसे उन्हे
मूतने की जरूरत नहीं पड़ती है । वे यूं दिखाते हैं जैसे वे मूतते नहीं हैं।
- उन्हें मूतने के जिक्र से परेशानी है। उन्हे
साहित्य में मूतने ले जिक्र से परेशानी है । फिल्म में कलाकारों को मूतते हुये दिखाने
से परेशानी है । संभव है उन्हें मूतने में भी परेशानी होती हो।
- पुरुष होने के सबसे बड़े फ़ायदों में एक है
कि वे कहीं भी किसी दीवाल , नाले के किनारे खड़ें ही सकते
है मूतने के लिए ।
- स्त्री पुरुष समान हैं यह तभी माना जाएगा
जब पुरुष सार्वजनिक जगहों पर मूतना छोड़ देंगे या महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर मूतना
शुरू कर देंगी ।
- सार्वजनिक स्थान पर मूतता हुआ पुरुष समाधि
को प्राप्त मनुष्य होता है। उनके आस पास खड़े लोग, सड़क
का ट्रैफिक , उसका काम आदि सभी उस समय कोई मायने नहीं रखता ।
जैसे पूरी दुनिया का कोई अस्तित्व नहीं है । सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ मूतने पर ।
यह स्थिति तो ध्यान करने वाले के लिए भी दुर्लभ है।
- कभी कोई स्त्री सार्वजनिक जगहों पर मूतते
हुये नहीं दिखाई देती । खुद के शरीर पर नियंत्रण के लिए उनको दी गई ट्रेनिंग जबर्दस्त
होती है । अफसोस यह ट्रेनिंग पुरुषों को नहीं दी जाती ।
- भारत में मूतने के लिए मूत्रालय न ढूँढे ।
मूतने वालों के लिए खेत खलिहान , बाजार , नाला , मैदान – सब मूत्रालय है ।
- अगर इस पोस्ट से आपकी भावना आहत हुई है तो
आज से मुतना बंद कर विरोध दर्ज कराएं !
-