रविवार, 5 फ़रवरी 2017

उत्तराखंड में लोकतंत्र का नया प्रयोग

मेरा मानना है कि लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब राजनीति दल केंद्रित न होकर जन केद्रित होंगी । लेकिन दलीय लोकतंत्र में पार्टियाँ चुनाव लड़ती हैं । नेता टिकट और सपोर्ट के लिए दलों पर निर्भर करते हैं और चंदे के लिए या तो स्वयं का पैसा निवेश करते हैं या धनपतियों पर निर्भर करते हैं । ऐसे में चुने जाने के बाद उनकी निष्ठा धन बल और बाहूबल प्रदान करने वालों के प्रति हो जाती है ।या अपना निवेश निकालने पर । वोट देने वाली जनता दरकिनार कर दी जाती है ।
ऐसे में उत्तराखंड से एक अच्छी खबर आई है । मोरी में लोगों ने अपना उम्मीदवार उतारा है । 26 लोगों के पैनल ने संभावित उम्मीदवारों के बीच दुर्गेश्वर लाल - जो साधारण नौकरीपेशा हैं और किसी धनबल और बाहूबल से मरहूम हैं - को अपना उम्मीदवार चुना है । उनके मुकाबले भाजपा, कँग्रेस और बसपा के उम्मीदवार हैं जिनमें दो विधायक भी रह चुके हैं ।
यह एक सराहनीय प्रयास है । और ऐसे प्रयोग देश भर में दोहराए जाने चाहिए । यह प्रयोग किस हद तक सफल होगा , यह कई बात पर निर्भर करता है । लेकिन इस प्रयोग को सफल करने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए । भारतीय लोकतंत्र को जवाबदेह और जनकेंद्रित करने , धनबल और बाहुबल को मात देने का यह एक रास्ता है ।

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