मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

लेखा जोखा 2017

लेखा जोखा 2017
------------------------------------------------------------------------
2017 का आखिरी सप्ताह चल रहा है । ऐसे में जरुरी है कि 2017 का लेखा जोखा रख लिया जाए और 2018 के कार्यक्रम की रुपरेखा बना ली जाए ।
2017 की शुरुआत में फेसबुक पर ही सार्वजनिक रुप से 2017 के लिए दिशा निर्देश तय किया था ।
इसमें कुछ मुद्दों पर लड़ाई मोल लेना था . किया भी । ऐसा नहीं कह सकता कि जीत गया, पर हारा भी नहीं । जो मुद्दा था, उसे उठाने में और कुछ हद तक मनवाने में कामयाब रहा । डिटेल में जान
...ा संभव नहीं है ।
लिखने के बारे में लक्ष्य निर्धारित किया था । लेकिन साल के शुरुआती महीनों में ही फेसबुक पर लिखा , जो बाद में फेसबुक से दूरी बनाने के कारण नगण्य हो गया । बाकी किसी पत्र पत्रिका , वेबसाइट , यहाँ तक कि अपनी ही वेबसाइट के लिए भी नहीं लिखा । जो लिखा वह फेसबुक पर ही लिखा जिसे मैं खुद ही महत्वपूर्ण नहीं मानता ।
पढ़ने के बारे में स्थिति कुछ बेहतर रही । ढेर सारी किताबें खरीदी और पढीं भी ।कुछ किताबें पढ़ना उपलब्धि रही । हालाँकि स्थिति और बेहतर हो सकती थी । कई किताबें जो खरीद ली पढ़ न सका, कुछ शुरुआत करने के बाद खत्म न कर सका , व्यवस्थित तरीके से नहीं पढ़ा ।कहना चाहिए कि अध्ययन के बजाए आस्वादन के लिए पढ़ा ।
घूमने में स्थिति बढ़या रही । यूरोप जाने की योजना कई मशक्कत के बाद भी सफल नहीं हुई । फिर भी भूटान , नेपाल , उत्तर प्रदेश ( बनारस, गोरखपुर, लखनऊ , आगरा , इलाहाबाद ), हिमाचल प्रदेश ( शिमला, कसौली ), राजस्थान ( जयपुर, अलवर ) घूमा ।
जो अन्य बातें उल्लेखनीय थीं
- ड्रिंकिंग और स्मोकिंग पुरी तरह काबू में रहा । साल भर में एक -दो मौके को छोड़ कर पुरी तरह बंद रहा ।
- फेसबुक, नेट एडिक्शन बहुत हद तक कम कर दिया । ( यह पोस्ट लिखने की भी इच्छा नहीं हो रही है । )
-जिम/फिटनेस पूरी तरह नियमित न रहा तो पुरी तरह छूटा भी नहीं ।
- खान पान पर बीच में नियंत्रण छूटने के अलावा ज्यादातर समय काबू में रहा । नाश्ता और रात का खाना खुद बनाना जारी है ।
- बड़े शौक से कैमरा खरीदा था। यूँ ही रख छोड़ा है ।
- वेबसाइट बनवाई थी जो अभी भी है , लेकिन फेसबुक से दूरी बनाने पर वह भी छूट गयी।
- डिप्रेशन /एंजाइटी तो खैर लगा ही रहता है, लेकिन एक दो मौकों को छोड़ कर काबू से बाहर नहीं गया ।
-दवाई पर निर्भरता बढ़ गयी है, लेकिन स्वास्थ्य ठीक ही है ।

खैर ! कुल मिला कर यह साल ठीक ठाक ही गुजरा , अच्छा भले ही न कहें ।