गुरुवार, 30 मार्च 2017

सरकारी नोकरी में भर्तियों में 89 % कमी पर प्रतिक्रिया

टीओआई में छपी खबर के अनुसार सराकर द्वारा सीधी भर्ती से नियुक्ति में 89 % की कमी आई है । और आरक्षित पदों में 31 % प्रतिशत खाली है ।
विडंबना है यह सरकार बेरोजगारी दूर करने के वादे के साथ आई है । सरकारी नौकरी निम्नवर्गीय परिवारों और वंचित समुदाय को मुख्य धारा में लाने और उन्हें अवसर देने का एक प्रभावी तरीका है । दूसरे सरकार संस्थाओं द्वारा अपना कार्य निष्पादित करती हैं । न्यायालय हों , परिवहन विभाग हो, पुलिस हो , बैंक हो , सभी कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहे हैं । कैसी विडंबना है कि एक तरफ बेरोजगारों की भीड़ है , दूसरी ओर पद भरे नहीं जा रहे हैं ।
गौर कीजिए सवर्ण समुदाय आरक्षण के खिलाफ जितना मुखर है , उतना वह न सीटों की कमी के बारे में है , न भर्ती पर रोक पर है । यह मानना गलत नहीं है कि सवर्ण बहुजनों के प्रति अपनी घृणा के कारण - भले ही अपनी दीवार गिरे , पड़ोसी की भैंस मरनी चाहिए - की मानसिकता से ग्रस्त हैं । आरक्षण के कारण उन्हें बहुजनों की भागिदारी सुनिश्चित करना उन्हें पसंद नहीं , लेकिन भर्ती पर रोक से उन्हें शिकायत नहीं है ।
सौ सीट पर भर्ती होगी तो आरक्षण के बावजूद कम से कम पचास सीट सवर्णों को मिलेगा । 89 % कटौती के बाद 11 में ज्यादा से ज्यादा 6 ।
भर्ती की प्रक्रिया सुचारु रुप से नियमित चलाने के मुद्दे पर सभी जातियों के युवा एक साथ माँग और संघर्ष कर सकते हैं । बशर्ते नीयत हो । यदि बीफ बैन , लव जिहाद , मंदिर वहीं बनाएँगे से पेट भरता है तो बात अलग है । करिए नमो नमो ! करिए भूखे पेट - भारत माता की जय !

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