शनिवार, 11 मार्च 2017

उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया 1

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत हासिल किया है । कहा जा रहा है कि गैर जाटव दलित और गैर यादव पिछड़ों का वोट भाजपा को मिला है । सवर्ण तो हमेशा से भाजपा के वोट बैंक हैं । सपा और बसपा से बहुजनों की शिकायतें वाजिब हो सकती हैं । लेकिन उन्हें भाजपा ही एक विकल्प लगा तो सवाल बनता कि किस आधार पर ? यदि मायावती नें दलितों के लिए कुछ नहीं किया ( मै्ं इससे सहमत नहीं ) , सपा ने सिर्फ यादवों का ही भला किया तो भाजपा ने ही बहुजनों के लिए क्या किया है , सिवा हिंदूत्व की घूट्टी पिलाने के ?
फिर भी , यदि बहुजनों ने भाजपा को सत्ता में लाने के लिए वोट दिया है तो उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्ता और प्रशासन में उनकी निर्णायक भागिदारी हो , सिर्फ टोकन भागिदारी नहीं । चाहे मंत्रीमंडल हो , सरकारी ठेके हों , शिक्षण संस्थान हों , नौकरियाँ हों । ऐसा नहीं होना चाहिए कि कथित रामराज लाने में हनुमान की तरह लड़े और बस सिंहासन के पैताने बैठकर अपने को कृतार्थ माने । सिंहासन पर जगह मिलनी चाहिए । ऐसा नहीं होना चाहिए कि हिंदू हिंदू कर भावनाएँ सहला दें और सारे पद , लाभ ब्राह्मण , ठाकुर ले उड़ें ।
जिन दलित और पिछड़े नेताओं ने भाजपा का रथ हाँका है , यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि शासन और समाज में सामाजिक न्याय हो और सत्ता के हर स्तर और रुप में बहुजनों का प्रतिनिधित्व और प्रभूत्व बढ़े ।
बहुजनों ने भाजपा की सरकीर बनवाई है तो पाँच साल के शासन में इसकी पुरी कीमत भाजपा से वसूली जानी चाहिए ।
, उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया 1

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें