मंगलवार, 28 मार्च 2017

यूपी में विपक्षी पार्टियाँ क्या कर रही हैं ?

योगी आदित्यनाथ ने मकतलों पर रोक लगायी । कहने के लिए यह सिर्फ अवैध मकतलों पर कार्यवाई है , लेकिन भीतर खाने ऐसे प्रोजेक्ट कियाजा रहा है कि योगी ने मूल्लों को सबक सिखाया है । यकीनन पहली नजर में इससे मुस्लिम ही प्रभावित नजर आ रहे हैं , लेकिन इससे पशुपालक हिंदू जातियाँ , चमड़े के व्यवसाय से जुड़े लोग अधिकांशत: दलित भी इससे प्रभावित होंगे ।
विरोध में माँस व्यापारियों ने हड़ताल किया है । हालाँकि नवरात्र शुरु होने के कारण - जब कई हिंदू मांसाहार का एक अवधि के लिए परित्याग कर देते हैं - इसका असर फिलहाल कम है , लेकिन उसके बाद बहुसंख्यक समुदाय भी इसकी जद में आयेगा ।
सवाल है कि ऐसे समय में क्या उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियाँ मुस्लिमों के नेतृत्व , उनके मुद्दे उठाने , प्रशासन पर दवाब बनवाने ,मकतलों को नियमित करने के लिए आवश्यक कानूनी, प्रशासनिक सहायता देने के लिए आगे आए ? गौरतलब है कि सपा और बसपा दोनों पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप है । सपा घोषित रुप से मुस्लिम यादव समीकरण साधती है और बसपा दलित मुस्लिम । लेकिन ऐसे समय में जब उनके पेट पर लात पड़ी है , ये पार्टियाँ और नेता क्या कर रहे हैं ? ये कैसा तुष्टिकरण है जहाँ उनके नागरिक अधिकार पर चोट पहुँची है और तुष्टिकरण का आरोप जिन पर लगता है , वे परिदृश्य से गायब हैं ।
भाजपा और योगी जो कह रहे हैं , वह उनकी नीति और नीयत है । लेकिन सपा और बसपा क्या कर रही है ?फोकट में मुसलमान का वोट चाहिए ? अगर भाजपा विकल्प नहीं मुसलमानों के लिए तो ये पार्टियाँ ही कौन सा विकल्प दे रही हैं ?दलित मुस्लिम या मुस्लिम - यादव या कोई भी गठबंधन पहले समाज में बनता है , फिर राजनीति में । ऐसे संकट की घड़ी में ही सौहार्द्य और सहयोग की भावना विकसित करने का मौका छिपा होता है ।
वैसे बेहतर होगा कि नेतृत्व मुसलमानों के बीच से निकले और अपने हक की लड़ाई खुद लड़े ।

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