मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

हिंदू धर्म का इस्लामीकरण

हिंदू धर्म का इस्लामीकरण
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कहते हैं कि जिससे भरपुर नफरत और विरोध किया जाता है , समय के साथ विरोधी भी जाने अनजाने उसी जैसा हो जाता है । किसी मॉन्स्टर से लड़ने वाला भी मॉन्स्टर हो जाता है ।
हाल की कुछ घटनाओं पर गौर कीजिए । जैसे उत्तर प्रदेश में योगी ने मुख्यमंत्री निवास में नवरात्र के व्रत के दिनों में फलाहार का सामूहिक आयोजन किया था । गौर कीजिएगा कि हिंदू धर्म में ऐसी कोई परंपरा नहीं है । मतलब फलाहार व्यक्तिगत ही होता है । यह सीधे सीधे रोजे में इफ्तार पार्टियों की नकल थी ।
अभी प्रशांत भूषण ने कृष्ण के संबंध में एक विवादित बयान - मेरी नजर में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है - दिया है और एक अपुष्ट खबर के अनुसार किसी हिंदू संगठन ने उन पर ईनाम की घोषणा की है । यह भी सीधे सीधे फतवे की नकल है । जबकि पारंपरिक हिंदू धर्म जो संघ और उसके अनुषंगी संगठनों के हिंदू धर्म से अलग है - में देवी देवताओं को क्या क्या नहीं कहा जाता है ! कई लोककथाओं और लोगगीतों में भगवानों को न जाने क्या क्या उलाहने और ताने दिये गये हैं और वे कोई वामपंथी या चर्च पोषित बुद्धिजीवी नहीं हैं । ऐसे मौकों पर किसी की भावना आहत होती है तो कह देता है - भगवान समझेगा उसको ! लेकिन इन दिनों भक्तों ने मामला अपने हाथ में ले लिया है ।
इसी तरह उन्हें आप मुस्लिमों की कट्टरता , शरिया कानूनों को हिकारत से धिक्कारते हुए पाएँगे , लेकिन वे जो रुप और दिशा हिंदू धर्म को लिए प्रस्तावित कर रहे हैं , वे आश्चर्यजनक रुप से हिंदू धर्म के अनुरुप न होकर इस्लाम के सांगठनिक ढाँचे के अनुरुप हैं ।यह हिंदू धर्म का इस्लामीकरण है । ऐसा करने वाले कोई आईएसआईएस या अल कायदा जैसे संस्थान नहीं हैं , बल्कि हिंदूत्व की राजनीति करने वाले हैं । जिस हिंदू धर्म की उदारता और सहनशीलता का महिमामंडन करते हैं , उसी को खत्म करने में लगे हैं ।
वे जब भी उदाहरण देंगे - मुसलमानों का ही उदाहरण देंगे - देखो मुसलमान लोग कैसे जन संख्या बढ़ा रहे हैं , तुम भी बढ़ाओ । देखो , मुसलमान कैसे अपने धर्म के लिए मरने मारने निकलता है , तुम भी निकलो मारने के लिए । देखो मुसलमान लोग कैसे नमाज के समय एक जूट होते हैं , तुम भी आरती के समय ऐसी एकता दिखाओ । आदि !वे कट्टर मुस्लिमों को ही अपना आदर्श मानते हैं और उन्हीं की नकल करते हैं , भले ही विरोध करते रहें । कभी ईसाई धर्म के संपर्क में आकर हिंदू धर्म ने सती प्रथा , विधवा विवाह निषेध आदि कई कुप्रथाओं से छूटकारा पाया , लेकिन इन दिनों आक्रामक हिंदूत्व इस्लाम की बुराइयाँ अपना रही है ।
इससे सबसे ज्यादा नुकसान हिंदू धर्म के मानने वालों को होगा और इससे निपटने की जिम्मेदारी भी हिंदूओं की है । मेरे जैसे नास्तिक और धर्म विरोधी लोगों के विरोध पर ही यह आक्रामक हिंदूत्व पनप रहा है और शायद अपेक्षित प्रभाव न पैदा कर सकें ।

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