बुधवार, 22 मार्च 2017

माँस पर पाबंदी

अच्छा अच्छा ! मूल्लों को सबक सिखा रहे हैं ? सारे बूचड़खाने बंद करवा देंगे ? सारे मीट शॉप और रेस्त्राँ पर ताला लगवा देंगे ?
हम्म !
पर ये तो बताइए ! भारत की अधिकांश जनता माँस खाती है । दलितों पिछड़ों के भोजन में माँस शामिल है । माना कि उन्हें अपने बराबर नहीं मानते , लेकिन मूल्लों से लड़ाने के लिए तो उन्हें हिंदू मानते हैं न !वे क्या खाएँगे !?
अच्छा आप उन्हें नीच मानते हैं तो फिर माँस तो ठाकूर साहब /बाबू साहब लोग खाते हैं । उन पर भी पाबँदी लगाएँगे क्या ? बिना माँस खाए क्षत्रीय का बल कम नहीं हो जाएगा ?
अच्छा वे भी दोयम दर्जे के हैं । लेकिन हिंदू धर्म के कर्ता धर्ता नियंता ब्राह्मणों में बँगाली ब्राह्मण माँस खाता है , ओड़िया ब्राह्मण खाता है , और तो और तीनों लोक से न्यारे मैथिल ब्राह्मण भी खाता है । फिर ?
क्या मूल्लों को कष्ट देने के लिए हिंदू को भी कष्ट देंगे ? उसमें भी ब्राह्मणों को भी ?
अनर्थ कर रहे हो ! मुसलमान छोड़ भी दे तो "ब्राह्मण देवता "का श्राप लगेगा !
:-) :-)

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