रविवार, 26 मार्च 2017

एंटी रोमियो स्क्वायड पर प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने एंटी रोमियो स्क्वैड बनाने के निर्देश दिये हैं । इन दिनों ये अति सक्रीय हो गए हैं और उत्साह में - खबरों के अनुसार - पार्कों में बैठने वाले प्रेमी जोड़ों , साथ घूम रहे भाई बहनों तक को पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित कर रहे हैं ।
इसे मानने में कोई शक नहीं कि सड़कों , पार्कों , बाजारों आदि सार्वजनिक जगहों पर पुरुषों का कब्जा है और वे महिलाओं की उपस्थिति सहज नहीं ली जाती है । हालाँकि हाल के दिनों में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी जरुर है । हालाँकि चौक चौराहों पर शोहदों - उन्हें रोमियो या मजनू कहना उनके अपराध को कम करना है -की हरकतें यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है और उनकी वजह से कई बार खास तौर से गाँवों और कस्बों में महिलाएँ घर में कैद कर दी जाती हैं , उनकी पढ़ाई छूड़ा दी जाती है आदि जिसे किसी भी तरह उचित नहीं कहा ज सकता है ।
लेकिन इस उत्साह में सहमति से किसी प्रेम संबंध में बने और सार्वजनिक जगह पर समय बिता रहे जोड़ों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए । किसी नेक इरादे को सही तरीके से लागू करना जरुरी है और इसके लिए डंडे से ज्यादा संवेदनशीलता मायने रखती है । याद रखना चाहिए कि इसी देश में जनसंख्या नियंत्रण जैसा जरुरी कदम तानाशाही के जरिए लागू करने और तमाम अनियमितताओं की वजह से सरकार ही ले डूबी और अब कोई सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कदम उठाना तो दूर बात भी नहीं करती है । इसलिए सड़क पर छेड़खानी रोकने के लिए बनाए स्क्वायड को पुरी जिम्मेदारी और संवेदनशील ढंग से काम करना चाहिए ।
जरुरत इस बात है कि लड़कियों /महिलाओं को इस बात के लिए भरोसा दिलाया जाए पुलिस , परिवार और समाज द्वारा कि यदि वे छेड़खानी आदि की शिकार होती हैं वे तुरंत शिकायत करें तो उन्हें अनावश्यक रुप से कटघरे में खड़े करने के बजाए त्वरित कार्यवाई होगी और दोषियों को पकड़ेकर सजा सुनिश्चित की जाएगी । यूपी पुलिस जिस तरह कार्यवाई कर रही है , उससे आम समाज में पुलिसिया आतंक कहा जाएगा जो यकीनन सही नहीं है ।
सही काम सही तरीके से होना चाहिए । पुलिस का काम लॉ एंड ऑर्डर बना कर रखना है , बाबा आदम के जमाने की नैतिकता थोपना नहीं है ।

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