बुधवार, 29 मार्च 2017

बैंक बैंकर बैंकर के साथ धोखाधड़ी

अक्सर छोटे शहरों, गाँवों , कस्बों में किराना आदि की एक दुकान होती है , नीचे दुकान और ऊपर रिहायश । ऐसे दुकान मालिक किशोरवय के लडकों को सामान आदि तौलने के लिए रखते हैं ।
अब घर की मालकिन सोचती है , दुकान पर काम केलिए रखा है तो क्या हुआ , घर का छोटा मोटा काम भी करवा लेना चाहिए । दुकान के काम के बजाए मालकिन की - थोड़ा मटर छील दो , थोड़ा मुन्ने को घूमा दो , आदि काम कर रहा होता है कि मालकिन खुश होगी , तो पगार ज्यादा मिलेगी । वहीं दुकान मालिक गुस्सा होता है कि जब देखो घर में घुसा रहता है ।
पगार के वक्त लड़का उम्मीद लगाता है कि दुकान के साथ घर का काम करने से ज्यादा वेतन मिलेगा , वहीं दुकान मालिक चिल्लाता है - ऐसे कैसे पैसे ? तुम दुकान का काम करते ही कहाँ हो ? जब देखो घर में घुसे रहते हो ।
उस समय लड़के को जो अपमान , ठग लिए जाने , मेहनत की कद्र न होने आदि का अहसास होता है वहीं हाल इन दिनों बैंकर का है । कहाँ बैंकर उम्मीद लगाये बैठे थे कि जन धन , अटल पेंशन , जीवन ज्योति आदि और अंत में सब से बढ़ कर विमुद्रीकरण को युद्ध स्तर पर लागू करने के बाद इस बार समय पर वेतन बढ़ोतरी होगी और अच्छी होगी ।
मगर ये क्या !? सरकार वेतन बढ़ाना तो दूर कर्मचारियों को मिलने वाली अतिरिक्त सुविधाओँ पर कटौती करने में लगी हुई है । यानि बैंक का लाभांश सरकार लेगी , और घाटे की पूर्ति कर्मचारियों से होगी !!
सोशल बैंकिंग करने के लिए बाध्य किया जाएगा और फिर पुछा जाएगा कि मुनाफा क्यों नहीं हुआ ! मुनाफा वाले काम पर फोकस रहेगा , तब न मुनाफा होगा ।
विडंबना देखिए कि कुछ बैंकर और भाजपा से संबद्ध यूनियन अब भी
"नमो नमो " कर रही है ! वे तब भी नमो नमो करेंगे जब सरकार देशभक्ति के नाम पर वेतन में भी कटौती करेगी ! सीमा पर जवान मर रहे हैं , तुम्हें सैलरी चाहिए ! देशद्रोही बैंकर !
#बैंक_बैंकर


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