बुधवार, 19 अप्रैल 2017

तेज बहादूर यादव के निलंबन पर प्रतिक्रिया

बीएसएफ के जवान तेजबहादूर यादव बर्खास्त कर दिये गये । उनका अपराध यह था कि उन्होनें खराब खाने की शिकायत सोशल मीडिया पर वायरल कर दी । उन्हें अनुशासनहीनता को दोषी पाया गया । बीएसएफ की प्रतिक्रिया भले ही दुखद है लेकिन यही अपेक्षित था । कोई भी संस्थान और उसमें जड़ जमाए बैठाए घाघ लोग इसी तरह नियमों की आड़ में गलत कामों का विरोध करने वालों को ठिकाने लगाते हैं ।
लेकिन सवाल है कि क्या संस्थान ने इस बात की जाँच करवाई कि घटिया खाना दिये जाने के लिए कौन दोषी है । भोजन के लिए जारी मद किन कामों में खर्च किये जा रहे हैं । क्या तयशुदा रकम में अच्छा भोजन नहीं दिया जा सकता है । यदि नहीं तो बजट बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए ।
जवाबदेही तो संस्थान ( यहाँ बीएसएफ ) की बनती है कि क्यों नहीं सैनिक की पूर्व शिकायतों को गंभीरता से लिया और अपेक्षित सुधार किया । अगर ऐसा होता तो तेजबहादुर को सोशल मीडिया में जाने का डेस्परेट कदम नहीं उठाना पड़ता ।
वैसे यह भी गौर तलब है कि इस समय केंद्र में कथित राष्ट्रवादी सरकार है जो सेना का अतिशय महिमामंडन करती है और सेना का इस्तेमाल नागरिक मुद्दों को दबाने के लिए इमोशनल ब्लैकमेल के लिए करती है - सीमा पर जवान मर रहे हैं और तुम लाइन में नहीं लग सकते ,देशद्रोही । इनके लिए सेना , देश , गाय आदि भावात्मक शोषण करने और जनहितके मुद्दे दबाने के लिए हैं । वरना सेना क्या मजदूर को भी सही भोजन की व्यवस्था नियोजकों को करनी चाहिए । दूसरे किसी गड़बड़ी को उजागर करने वालों को लिए व्हिसल ब्लोअर सुरक्षा योजना होनी चाहिए । यहाँ उल्टे दंडित किया जा रहा है ।
चूँकि जवान यादव है , इसलिए जाति की भूमिका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है । पता लगाना चाहिए कि मामले की जाँच करने वाले , निर्णय देने वाले के सरनेम क्या हैं । मुझे हैरत न होगी यदि सारे के सारे जनेऊधारी निकले !
जरुरी है कि तेज प्रताप के साथ मजबुती से खड़े रहने की ,बीएसएफ और सरकार पर दवाब डाल कर तेज प्रताप का उत्पीड़न रुकवाने की एवं बीएसएफ में बोजन संबंधी या अन्य अनियमितताएँ दूर करवाने की ।

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