गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

गाय तो बहाना है , मुसलमान निशाना है ।

अपनी बात कहने से पहले कुछ सवाल
- क्या भारत में गाय पालने पर कोई प्रतिबंध है ?
- नहीं !
- क्या किसी को गाय को माता मानने और पूजने से रोका जा रहा है ?
--नहीं !
- क्या गौशालाओं को बंद कराया जा रहा है ?
- नहीं !
- क्या गायों की संख्या में भारी कमी आई है जिससे विलुप्तीकरण का कोई खतरा है ?
- नहीं !
फिर गाय को कौन सा खतरा है जिससे गाय के नाम पर अपराधी तत्वों को संरक्षण दिया जा रहा है !?
कोई गाय को माता मानता है , पूजता है , यह उसका अधिकार है । लेकिन इस अधिकार का मतलब यह नहीं लगाया जा सकता है कि दूसरे लोग - चाहे हिंदू धर्म में पैदा हुए नास्तिक हों , मुसलमान हों , ईसाई हों - भी गाय को माँ मानें । कोई गाय खाता है तो इसके लिए भावना आहत का आरोप सही नहीं है । वह गाय खाता है क्योंकि गाय भोज्य पदार्थ है । विदेशों में और भारत के कई राज्यों में भी गाय खाई जाती है । वहाँ भी जहाँ हिंदू धर्म के स्वयंभू ठेकेदार भाजपा और संघ की सरकार है । केरल में हिंदू भी खाते हैं ।
गौ हत्या और गौ माँस के व्यापार पर रोक संबंधी कानून ही गलत है और हिंदू तुष्टीकरण का परिणाम है जिसका तर्क और तथ्य से कोई संबंध नहीं है । इस कानून को खत्म किया जाना चाहिए , साथ ही गौ रक्षा के नाम पर बनने वाले संगठनों को हत्या और आपराधिक धमकी देने आदि से रोका जाना चाहिए ।
क्या ऐसा करना हिंदू विरोध है ? नहीं ! क्योंकि हिंदूओं को - किसी भी अन्य धर्मावलंबी की तरह अपना धर्म मानने , प्रचार करने का अधिकार है
लेकिन हिंसा के आधार पर दूसरों पर थोपने का नहीं । गौ रक्षा वाले अपना कार्य क्षेत्र गायों के लिए गौ शालाएँ खोलने , आवारा घूमती गायों के लिए चारे की व्यवस्था करने , बूढ़ी गायों को कसाई से बचाने के लिए खुद अच्छे दाम पर खरीद लेने आदि को बना सकते हैं ।
इसके लिए गौ माँस का व्यापार करने वालों को निशाना बनाना कतई जरुरी नहीं है ।
लेकिन यह स्पष्ट है कि गाय तो बहाना है , मुसलमान निशाना है ।

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