शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

मेरे बहुजन मित्रों - दो यादव

दो यादव
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एक हैं दिलीप यादव Dileep Yadav । जो जेएनयू में सीट कटौती के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं । हालाँकि सीट कटौती से हर धर्म , जाति, समुदाय के लोग दुष्प्रभावित होंगे , लेकिन ज्यादा नुकसान उन वंचित तबकों का होगा जिनकी शिक्षा तक पहुँच अभी भी कम है ।
दूसरे हैं वे यादव - जो अलवर में पेहलू खान के हत्या के आरोपी है , जो गौ गुंडे हैं । जो ब्राह्मणवादी प्रोपगैंडे और साजिश के शिकार हैं जिसके प्रभाव में मुसलमानों के खिलाफ लामबंद हैं और किसी हिंदू राष्ट्र के निर्माण में व्यस्त हैं जो मुसलमानों के लिए नुकसानदेह तो है ही , बहुजनों के लिए भी हानिकारक हैं । जहाँ पारंपरिक वर्ण व्यवस्था प्रभावी होगा और बहुजनों की जगह पैताने होगी । सत्ता , शिक्षा , स्वास्थ्य आदि सवर्णों के अधीन होगा और बहुजन उनके मुखापेक्षी ।
यह दुखद है कि बहुजन हिंदूत्व की पालकी ढो रहे हैं जो उनकी दुर्दशा का कारण है और बीते वर्षों में जो सत्ता आदि में मामूली उपस्थिती हासिल हुई है , उसे भी गँवाने पर तुले हैं ।
हिंदू धर्म की रक्षा के लिए कोई मिश्रा , पांडे , दूबे आदि क्यों नहीं जाता ? वे सत्ता , शिक्षा , अर्थतंत्र में अपनी पैठ गहरी करने और बहुजनों को हकालने में व्यस्त हैं ।
पहले भी कहा है , फिर कहता हूँ और बार बार कहूँगा कि संघ और भाजपा का हिंदू राष्ट्र मुसलमानों से ज्यादा बहुजनों के लिए घातक होगा ।
ऐसे में सही रास्ता वह है जो दिलीप यादव ने चुना है - शिक्षा - और अन्य महत्वपुर्ण मसलों पर संघर्ष करना , न कि अलवर के आरोपी जो अपना वर्तमान और भविष्य तबाह कर गाय बचाने निकले हैं । हमारा समर्थन और सहयोग दिलीप यादव और उनके जैसे बहुजनों के लिए है , अलवर के आरोपियों के लिए नहीं । वे भले ही जन्मना बहुजन समाज का हिस्सा हों वे बहुजन समाज के व्यापक हित के खिलाफ काम कर रहे हैं । बेहतर है वे ब्राह्मणवादी साजिश का शिकार होने से बचें ।
#मेरे_बहुजन_मित्रों

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