मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

मेरे बहुजन मित्रों - सवर्णों की घृणा आरक्षण के कारण नहीं जाति के कारण है ।

कोई बहुजन जब किसी मुद्दे पर राय रखता है या कोई अन्य परिपेक्ष्य में विरोध होता है तो व्यक्तिगत हमला के लिए सवर्ण जो जूमला इस्तेमाल करते हैं , वह है - आरक्षण के दम पर सवर्ण का हक मार के नौकरी ले लिया है और बकवास कर रहा है ।
गौर कीजिए कि बंदा चूँकि सवर्ण है , इसलिए नौकरी , संसाधनों और अवसरों पर अपना मालिकाना हक समझता है । आरक्षण इन्हें न समझ आया है और न आएगा ।
दूसर जिन लोगों ने आरक्षण का लाभ न लिया है उनसे इनका व्यवहार कैसा है - नोट कीजिए । वे साधारण सौजन्य दिखाना जरुरी नहीं समझेंगे बहुजन बंदा यदि आर्थिक रुप से कमजोर हुआ या पलटवार करने की स्थीति में नहीं है तब इन सवर्णों की जातिगत घृणा चरम पर होती है ।
यह घृणा किसी आरक्षण की देन नहीं है । जाति की देन है । आरक्षण नहीं रहता तो भी और आरक्षण खत्म हो जाएगा तब भी वे यही घृणा परोसेंगे ।
कोई दलित अपनी शादी में घोड़ी पर चढ़ता है तो उसे रोकने के लिए हिंसा पर उतारु हो जाते हैं , उसकी वजह कोई आरक्षण नहीं है ।
कोई पासवान होटल खोल लिया तो - मने आरक्षण का फायदा नहीं लिया तब भी उन्हें - अब "ये लोग " भी होटल चलाने लगे का कमेंट पास करते हुए देख सुन सकते हैं ।
मेरे बहुजन मित्रों ! ध्यान दें कि आरक्षण को लेकर डिफेंसिव न हों । वे आरक्षण के कारण नहीं जाति के कारण घृणा करते हैं । कोई सफाई न दें ! सीधा बाहर का रास्ता दिखाएँ !
#मेरे_बहुजन_मित्रों

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