काम शाम के लिए पेंडिंग न रखें !
बुजूर्ग बैंकरों ने जो गलत परम्पराएँ बैंक /कार्यालयों में
डाली हैं उनमे से एक है सारे महत्वपूर्ण काम
शाम के लिए पेंडिंग रखना और देर रात तक ऑफिस में बैठकर काम करना , भले ही काम
को सुबह से शुरू कर शाम तक खत्म किया जा सकता हो और नियत समय पर कार्यालय बंद किया
जा सकता हो। यह परंपरा इंतने गहरे जड़ जमा चुकी है कि बैंक के अच्छे ग्राहक
भी जानबूझकर शाम को आते हैं – इत्मीनान से बात करेंगे। हद तो तब होती है जब दूसरी जगह नौकरी करने वाले ग्राहक भी शाम को आएंगे और दाँत
चियारते हुये कहेंगे – हम सोचे बैंक में सबसे आखिर में जाएंगे । बैंक तो रात तक खुलती
ही है। हे...हे....हे...!
बुजूर्गों का कुछ नहीं हो सकता, लेकिन
जहां कमान युवा बैंकरों के हाथ में है वे इस परंपरा को तोड़ें और नियत समय पर काम खत्म कर बैंक/कार्यालय बंद करें । निश्चय
ही ऐसा कहना आसान है , और करना मुश्किल। लेकिन इसका मतलब यह नहीं
कि प्रयास नहीं किया जाये ।
ध्यान देंगे तो पाएंगे कि ऐसे शाम के लिए पेंडिंग
रहने वाले काम या तो लोन से संबन्धित होते हैं ( नोट, क्लियरेफिकेशन, डोक्यूमेंटेशन आदि ) या रिपोर्ट से संबंधित
या ऐसा कोई काम जो एकाग्रता और बिना व्यवधान के समय की मांग करता है । सवाल यह है कि
ऐसे काम सुबह क्यों नहीं किया जा सकता है ? वजह यह भ्रांत धारणा
है कि ऐसा समय शाम को ही मिल सकता है । और यह भ्रांत धारणा है कि ZO/HO के हर कॉल को तुरंत अटेण्ड करना है
, या हर ग्राहक से मिलना और सुनना जरूरी है। कृपया गलत न समझे।
हर काम जरूरी है लेकिन काम में अंतर करना और प्राथमिकता तय कर उस हिसाब से काम करना
हमारी जरूरत भी है और अधिकार भी ।
अगर किसी ग्राहक को लोन देना है तो शाम को बुलाने
के बजाए ऑफिस खुलने के समय बुलाएँ । और यकीन मानिए वे सुबह आएंगे । शाम को लोन का काम
करने से दिक्कत है कि कुछ न कुछ अधूरा रह जाएगा जो आप कल पर टालेंगे और लोन दे देंगे
। फिर अगले दिन नए काम का अंबार लगना शुरू
हो जाएगा । संभव है बाद में आपके ध्यान में न रहे और बाद में कर्मचारी की जवाबदेही
तय करते समय आप फंस जाएँ । सुबह काम करने से यह होगा कि आपको पूरा दिन लोन का कम करने के लिए
मिलेगा । सामने लोन का ग्राहक बैठा रहेगा तो –पास बुक प्रिंट नहीं हो रहा , स्टेटमेंट नहीं मिल रहा आदि जैसे कामों के लिए भी ब्रांच मैनेजर को परेशान
करने वाले ग्राहक आपके पास नहीं आएंगे । यदि आते हैं तो उसे फिर पासींग ऑफिसर के पास
भेज दें और इस संबंध में पससिंग ऑफिसर जो भी निर्णय ले उसे सपोर्ट करें। उसके फैसले
को कम से कम उस समय ओवररुल न करें । ग्राहक को स्पष्ट होना चाहिए कि रूटीन मामले में
निर्णय एक ही होगा ।
दूसरे – यदि रिपोर्ट आदि तैयार करना हो तो केबिन
के बजाय सर्वर रूम में बैठकर रिपोर्ट तैयार करें और इस बीच आने वाले ग्राहक, फोन कौल आदि को दूसरे अधिकारी को अटेण्ड करने दें । ज्यादा जरूरी होने पर
उसे नाम नंबर नोट करने के लिए बोल दें और फिर अपना काम समाप्त करने के बाद कौल बैंक
करें । ध्यान दीजिये की इन दिनों ZO/HO के अधिकारियों और ग्राहकों को हर काम अरजेंट बनाने – उन्हे भी जो नहीं है –और अभी के अभी चाहिए का दम देने की आदत
हो गई है। प्रतिरोध करें और दवाब में न आएं । काम को सही तरीके से करने के लिए समय
चाहिए और लीजिये । संवाद के लिए फोन से ज्यादा ई मेल पर भरोसा करें। यह आपका समय बचाएगा, अनावश्यक विवाद से बचेंगे जो अक्सर फोन पर होती है और आपके पास रिकॉर्ड रहेगा
। इमरजेंसी की बात अलग है लेकिन सालों भर इमरजेंसी मोड में काम करने की जरूरत नहीं
है। करेंगे तो बीपी/शुगर/हार्ट के पेशेंट बनेंगे ।
जान बूझकर शाम को आने वाले ग्राहक को हतोत्साहित
करें चाहे जितना भी बड़ा कस्टमर क्यों न हो । कहिए कि काम सुबह ही होगा । कम्पलेन होता
है तो होने दें । स्पष्टीकरण मांगे जाने पर लिखें-सुरक्षा कारणों से कार्यालय अवधि
के बाद सेवा देना संभव नहीं था । अगले दिन काम पूरा कर दिया जाएगा ! ध्यान दे कार्यालय
समय के बाद जो आप चेक पास करते हैं तो आपको
निगोशिएबल इन्स्ट्रुमेंट एक्ट के तहत बैंकर को मिलने वाला प्रोटेक्शन नहीं मिलता ।
किसी अनहोनी की आशंका में इंश्योरेंस कंपनी सिर्फ इस आधार पर क्लेम देने से मना कर
सकती है कि कांड कार्यालय समय के बाद हुआ था। तो फिर कार्यालय समय के बाद काम क्यों
करना !?
अगर वर्तमान कार्य संस्कृति से हम खुश नहीं है तो इसे सुधारने की ज़िम्मेदारी
भी हमारी है। रातोरात स्थिति में बदलाव नहीं लाया जा सकता , लेकिन इस दिशा में प्रयास तो होना चाहिए । कोई नहीं करता तो आप खुद से शुरू
कीजिये !
नोट : पोस्ट बैंकरों के लिए लिखी गई है
लेकिन थोड़े फेरबदल के साथ सभी कार्यालयों पर लागू होती है।
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