आम तो आम है !
बाज़ार में आम खरीद रहा था । दुकानदार ने मुझे
आम टटोलते हुये देखा तो कहा –लीजिये न भायजी ! चीनी की तरह मीठा आम है ।
चीनी की तरह मीठा !? हम्म ! जब भी हम उपमा देते हैं तो इरादा होता है , बात
को सजा कर कहने का, अपनी बात स्पष्ट कहने का , या कथन के प्रभाव में अंतर लाने के लिए । जैसे कहते हैं –चन्दन सा बदन तो
आशय है चन्दन जैसा सुगंधित शरीर । चाँद सा मुखड़ा मतलब जैसे चाँद देखने में सुंदर है, शीतल है , देखने वाले को सुकून देता है वैसे ही वह चेहरा सुंदर है।
लेकिन जरूरी नहीं कि उपमा हर बार सटीक ही हो
। जब आम को चीनी की तरह मीठा कहा जाता है बात स्पष्ट नहीं ही पाती । आम की मिठास चीनी
की मिठास नहीं है। मीठा खाने का मन होगा तो सीधे चीनी ही न खा ले लोग !? आम में मिठास के साथ हल्की खटास होती है जो मिठास से संतुलित होती है और जबान
पर एक सनसनाता सा स्वाद आम खाने के बाद भी रह जाता है । चीनी में यह बात कहाँ !?
आम तो आम है। आम को चीनी की तरह मीठा कहना आम का अपमान है
।
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