मेरे बहुजन मित्रों – खूब लिखिए !
खबर है कि मायावती ने जिला स्तर के एक
बसपा नेता को पार्टी से इसलिए निष्काषित कर दिया क्योंकि उन्होने ब्राह्मण के
खिलाफ़ कोई पोस्ट किया था। मैंने पोस्ट पढ़ी नहीं इसलिए उस पोस्ट पर बात नहीं कर
सकता ।
स्पष्ट कर दूँ कि मैं ब्राह्मणों से
सिर्फ ब्राह्मण होने के कारण घृणा करने का समर्थक नहीं हूँ। तथ्यहीन और तर्क विहीन
ब्राह्मण विरोध को सही नहीं मानता ।लेकिन समाज में जो वातावरण है उसमें बहुजनों का
ब्राह्मणवादी विचार और संस्कृति से टकराव अवश्यंभावी है। प्रायः देखा गया है कि
बहुजनों द्वारा जाति पर लिखते ही या ब्राह्मण वर्चस्व का विरोध करने पर ही उन्हें
सवर्णों द्वारा जातिवादी घोषित कर दिया जाता है । खुले आम पोस्ट पर गाली गलौच, जातीय दंभ का प्रदर्शन होता है । उदाहरण के
लिए दिलीप मण्डल, वेद आदि के पोस्ट के कमेन्ट को देखा जा
सकता है। बहुजनों के अधिकांश लोगों ने पढ़ना लिखना तो अब शुरू किया है। सवाल उठाना
शुरू किया है । एक दलित नेत्री द्वारा उन आवाजों को बंद करना- चाहे जो भी राजनीतिक
मजबूरी रही हो- सही नहीं है ।
सबको साथ लेकर चलना चाहिए , ब्राह्मणों समेत सवर्णों को भी । यह एक आदर्श
और स्वागत योग्य विचार है जिसका विरोध संभव नहीं है । लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि
ब्राह्मण वर्चस्व को स्वीकार कर लिया जाये या उसके सामने समर्पण कर दिया जाये ।
उन्हे चुनौती दिये बगैर हमारी मुक्ति संभव नहीं है ।
इसलिए ,
मेरे बहुजन मित्रों , खूब लिखिए । बिना डरे,
बिना अंजाम और आलोचना की परवाह किए ।
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