शुक्रवार, 17 जून 2016

फिल्म उड़ता पंजाब



इन दिनों ट्रेलर इतने जबर्दस्त बनते हैं कि जब फिल्म देख कर निकलते हैं तो लगता है ट्रेलर ही अच्छा था , फिल्म बेकार बनाई । सुखद एहसास हुआ कि "उड़ता पंजाब" को लेकर जितना हाइप हुआ, फिल्म उस अनुरूप बढ़या बनी है।
पंजाब की ड्रग्स समस्या को लेकर रियल लाइफ ड्रामा। फिल्म ड्रग पॉलिटिक्स से ज्यादा उन चार किरदारों पर फोकस करती है जिनकी जिंदगियाँ ड्रग से अलग अलग ढंग से जुड़ी हुई है।
एक पुलिस वाला जो ड्रग माफिया से पैसे खाकर आँख मूँद लेता है , लेकिन खुद का भाई जब शिकार होता है तो उसका नजरिया बदल जाता है । एक डॉक्टर जो ड्रग एडिक्ट का इलाज करती है और ड्रग नेक्सस उजागर करती है । एक सिंगर जो ड्रग के कसीदे पड़ता है और खुद एडिक्ट है , लेकिन जब ड्रग के खिलाफ बोलता है तो कोई सुनना नहीं चाहता । एक खेत मजदूर जो इत्तिफ़ाक से ड्रग डीलरों के हत्थे पड़ जाती है।
घटनाक्रम विश्वसनीय है और उन्हे इसी तरह फिल्माया गया है। ड्रग एडिक्टों को देखकर ड्रग से वितृष्णा होती है। फिल्म में गालियों की भरमार है लेकिन इतनी गालियां तो बाजार में एक चौक से दूसरे चौक तक जाने में ही सुनाई देंगी, शायद ज्यादा ही । बाकी पंजाब के नाम को लेकर जितना विवाद हुआ ,वैसी आपत्ति कभी गोवा, बिहार, हरयाना , यूपी , मुंबई आदि को लेकर नहीं हुई , जहां के अपराध,घोटाले, हत्याकांड बार बार फिल्मों के विषय बने हैं । भला हो कोर्ट का जिनके सदके फिल्म बिना कट के रिलीज हुई ।
फिल्म देख लीजिये लेकिन हौल में, लीक वाली नहीं। स्टार पावर के बजाय कंटेन्ट पर फोकस करने वाली फिल्मों को बढ़ावा दीजिये।

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