मंगलवार, 7 जून 2016

प्रोफेसर और असोसिएट प्रोफेसर के पदों में ओबीसी आरक्षण रद्द !



जैसा कि मैंने पहले भी लिखा है वर्तमान मोदी सरकार को दरअसल संघ सरकार है आरक्षण खत्म करने या निष्प्रभावी करने पर तुली हुई है। एससी/एसटी के आरक्षण को हाथ लगाना थोड़ा मुश्किल है , इसलिए हमला ओबीसी पर है । अफसोस यह एक पिछड़े -मोदी-को आगे करके किया जा रहा है। इस बारे मे मोदी का आश्वासन खोखला है। संघ के हजार मुंह है और हजार तरह से बोल कर भ्रमित करती है और अपने अजेंडे पर चलती है ।
स्मृति ईरानी जो शिक्षा मे संघ का एजेंडा लाने में लगातार जुटी हैं ने निर्देश जारी किया है जिसके तहत प्रोफेसर और असोसिएट प्रोफेसर के पदों के लिए ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया है। इस पर मीडिया में चर्चा नहीं हो रही । सवाल यह भी है कि क्या सरकार हठात इस तरह आरक्षण हटा सकती है!?
कारण क्या बताया गया है!? क्सिकी अनुशंसा पर ऐसा फैसला किया गया है!?
हमारे ओबीसी लीडर प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले सवर्णों को रिझाने में लगे हैं। ओबीसी वर्ग "हिन्दू राष्ट्र" के निर्माण में व्यस्त है और यह सवाल नहीं पूछ रहे  कि हिन्दू राष्ट्र में उनकी भूमिका क्या होगी!? इस्तेमाल किया जाना और किनारे कर दिया जाना !??इसमें कोई शक नहीं कि वे बस प्यादे की तरह इस्तेमाल होने वाले हैं !
ये विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थाएं ब्राह्मणवाद के सबसे बड़े अड्डे हैं। शुक्ला , सिंह, सिन्हा और बिरादरी का कब्जा है । किसी योग्यता की वजह से नहीं , बल्कि भाई भतीजा वाद और जातिवाद के कारण। प्रोफेसरों को अपने बेटे, बेटियों, बहुओं, भतीजों, चेलों को अभयदान रहता है - पीएचडी कर लो, नेट निकाल लो , फिर हम हैं ही !अगर उनका कुत्ता बोल सकता यो वे उसे भी लेक्चरार बना सकते हैं । तदर्थ सेवाएँ भी उन्होने अपने बिरादरी में ही बांटी है । घुसने में इतना अड़ंगा है तो आगे बढ्ने में कितना लगाते होंगे यह सहज ही सोचा  जा सकता है ।
ओबीसी वर्ग को ध्यान रखना चाहिए कि एससी/एसटी उनके स्वाभाविक सहयोगी है और कथित सवर्ण उनके प्रतिद्वंदी ! संसाधनों और अवसरों पर कब्जा सवर्ण तबके का है, और ओबीसी के सीमित अवसर के लिए एससी/एसटी और उनका आरक्षण जिम्मेदार नहीं हैं । सवर्ण है।
जरूरी है कि यह लड़ाई सड़क, संसद , कोर्ट , मीडिया , हर जगह लड़ी जाये । वरना जो थोड़ा सा स्पेस ओबीसी के लिए बना है हम उसे भी गवां देंगे ।यह हाराकिरी कहलाएगा !
#मेरे_बहुजन_मित्रों

1 टिप्पणी: