रविवार, 11 दिसंबर 2016

नए नोट की जब्ती

कई जगहों से नए नोटों के जखीरे पकड़े जा रहे हैं । इसके लिए बैंक वालों को दोषी करार दिया जा रहा है । अगर इसमें बैंकरों की संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए । दोषी बैंकरों का न तो बचाव करना चाहता हूँ और नही उन्हें बचाए जाने समर्थन करता हूँ ।
फिर भी कुछ बातें स्पष्ट करना चाहता हूँ ।
- जिस तरह इन घटनाओं का हवाला देकर विमुद्रीकरण की असफलता का ठीकरा बैंकरों पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है , वह हास्यास्पद है और साजीशन है । आश्चर्य नहीं कि ऐसा करने वाले पार्टी विशष के समर्थक हैं जो विमुद्रीकरण पर संकटों में घिरी सरकार को निकालने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ।
- जब्त किए गए रुपए बहुत बड़ी मात्रा लग रहे हों तो इसे चलन में नोट वापसी की जाने वाली मुद्रा के मुल्य से तुलना कीजिए तो पाएँगे कि वह नगण्य राशि लगेगी । इसलिए इसे आधार बनाकर पुरी असफलता का ठीकरा बैंकरों पर फोड़ना उचित नहीं ।
- बैंक में चेक और काउंटर चेक का जबरदस्त सिस्टम है । कोई भी सिस्टम को बाइपास नहीं कर सकता है । करता है तो वह ट्रेल छोड़ता है जिसे ट्रेस किया जा सकता है और स्क्रुटिनी में टिकेगा नहीं । उनका पकड़ा जाना महज वक्त की बात है । कई बैंकरों पर कार्यवाई भी हुई है ।
- ये जो नोट पकड़े जा रहे हैं , ऐसा इसलिए कि बैंक ट्रांजेक्शन संबंधी डाटा बैंकों द्वारा कर विभाग को उपलब्ध कराया जाता है । वे डाटा माइनिंग द्वारा अपने काम की सूचना निकालते हैं । किसी तरह का संदेह होने पर नोटिस भेजते हैं , छापा मारते हैं , आदि जो कि उनका काम है । इसलिए इन जब्तियों में और दोषियों को पकड़वाने में बैंक का भी य़ोगदान है । इसलिए सिर्फ बैंकरों पर दोष ही मत डालिए ।
- सवाल है कि नए नोट दोषियों के पास इतनी मात्रा में कैसे आए ? संभव है ऐसा डमी खातों के माध्यम से किया गया हो । मतलब अपने कर्मचारियों/रिश्तेदारों के नाम पर पहले से खोले गए कागजी फर्मों के नाम पर । जरुरी नहीं कि इसमें बैंकरों की मिलीभगत हो ही ।
बैंक हमेशा से फ्रॉड लोगों के निशाने पर रहता है । उन्हें बैंक के कामकाज की अच्छी जानकारी होती है । वे हमेशा नए और अनोखे तरीके फ्रॉड के लिए लाते रहते हैं । बैंक कभी बचती है, कभी फंसती है और तद्नरुप सिस्टम/प्रोसीजर अपडेट करती है । बैंकरों और फ्रॉड लोगों के बीच चोर सिपाही जैसा चलता रहता है । पकड़े गए लोग ही बताएँगे कि कैसे यह कारनामा किया और बैंक उसके बाद सुधार लाएगी । यह तय है कि ये घटनाएँ अपवाद हैं । नॉर्म नहीं ।
#बैंक_बैंकर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें