रविवार, 18 दिसंबर 2016

बैंक बनाम इ बटूए


पेटीएम जैसे वैलेट के मुकाबले बैंकों को क्यों तरजीह देनी चाहिए , इस संबंध में कुछ तर्क देना चाहूँगा ।
- बैंक सिर्फ लेन देन नहीं करता है , यह अन्य वित्तीय सेवाएँ - मने मियादी जमा, आवर्ती जमा आदि - भी देता है जो ई बटुए या भूगतान बैंकों के लिए संभव नहीं है । भविष्य में संभव हो तो अलग बात है लेकिन यह दूर की कौड़ी है ।
- बैंक आपके जमा पैसों पर ब्याज भी देता है । ई बटूए नहीं देते ।
- बैंक में आपके बचत खाते के पैसे के इस्तेमाल पर कोई बंदिश नहीं है । फिलहाल नकद निकालने पर जो पाबंदियाँ हैं वे वक्ती हैं । गौर कीजिए चेक , नेट बैंकिंग आदि द्वारा इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं है । कार्ड आदि पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से जो लिमिट है , वह आप अपनी जरुरत के हिसाब से बढ़ा भी सकते हैं ।
- बैंक आपको क्रेडिट उपलब्ध कराती है । क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी और यह मियादी /आवर्ती जमा को बंधक रख 90 % तक ऋण तत्काल उपलब्ध कराती है जो ई बटूए और भूगतान बैंकों में संभव नहीं है ।
- व्यापारी वर्ग - खासतौर से छोटे जो अब तक अधिकांश काम नकद करते हैं और चालू खाता नहीं रखते हैं - यदि सारा काम बैंक के खाते के माध्यम से करेंगे तो उन्हें भविष्य में ऋण लने में आसानी होगी । ई बटूआ या भूगतान बैंक ये जरुरत पूरी नहीं कर सकते हैं ।
- बैंक पर ज्यादा निगरानी और बंदिशे हैं । बैंक में आपका पैसा ज्यादा सुरक्षित है ।
- बैंकों के पीछे वर्षों की साख है , जिसका अपना महत्व है ।
- बैंक आपके एजेंट - चाहे बीमा हो , म्यूचुअल फंड हो आदि - के रुप में भी काम करती है । भविष्य में इसे आप बैंक के पास बंधक के रुप में रख कर ऋण की सुविधा भी उठा सकते हैं ।
- कोई भी इकॉनोमी कैसलेस नहीं हो सकती है । नकद की जरुरत बाद में भी रहने वाली है, भले कम हो । इसके लिए बैंक से बेहतर कुछ नहीं ।
- गैस की सब्सिडी , छात्रवृत्ति , कोई अन्य सरकारी अनुदान बैंक खातों के माध्यम से ही मिलेंगे । इसलिए बैंक में खाता तो रखना पड़ेगा ही । तो क्यों नहीं उसे ही लेनदेन के लिए इस्तेमाल किया जाए ।
- बैंक  भूगतान के लिए बहुत  तरह के विकल्प देता है – नगद, डेबिट कार्ड, केर्डिट कार्ड , नेट बैंकिंग , यूपीआई , फोन बैंकिंग , क्यू आर ट्रांजेक्शन आदि । इतना विकल्प फिलहाल बैंक के अलावा संभव नहीं है ।
लिस्ट और भी लंबी हो सकती है । फिलहाल इतना ही । आगे दूसरी पोस्ट में लिखूँगा ।
अपने हित में बैंक से जुड़े रहिए ।
बैंकर मित्रों से अपील है कि ऐसे समय में जब बैंक पर हमले बढ़ रहे हैं . उसकी साख पर ही बट्टा लगाया जा रहा है , ग्राहकों को बैंक का महत्व समझाएँ और बैंक से जोड़े रखें ।
-







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें