मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

शाहरुख खान





तो शाहरुख खान अपने "रईस " फिल्म के रीलिज से पहले राज ठाकरे से मिले ताकि वे उनकी फिल्म का विरोध न करे । विरोध का आधार यह कि फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार माहिरा खान है । इसके लिए भविष्य में पाकिस्तानी कलाकार को फिल्म में न लेने और प्रमोशन से माहिरा को अलग रखने का वादा भी किया है ।
इस खबर पर कई लोग शाहरुख का मजाक उड़ा रहे हैं , कुछ मायूसी जाहिर कर रहे हैं । कुछ व्यवहारिक भी बता रहे हैं ।
अच्छा लगता मुझे यदि शाहरुख झूकने से मना कर देते । राज ठाकरे से न मिलते । या रीलिज के लिए कोर्ट या राज्य सरकार की शरण में जाते । लेकिन यदि उनहोंनें ऐसा नहीं किया तो वे मुझे उन पर गुस्सा नहीं आ रहा , मुझे गुस्सा इस सिस्टम पे आ रहा है जिसमें केंद्र सरकार - जिनके पास इस बारे में निर्णय लेने का अधिकार है कि् कौन भारत आ सकता है और किस काम के लिए - इस बारे में निर्णय नहीं लेती , बल्कि नॉन - स्टेट एलिमेंट - जिनका इकलौता होल्ड यह है कि वे मुंबई में अपने कार्यकर्ताओं द्वारा तोड़फोड़ मचा सकते हैं - लेता है और राज्य सरकार इस कदर लाचार है कि खुद मुख्यमंत्री बिचौलिए की भूमिका निभाता है , बजाए धमकी देने वाले के खिलाफ कोई एक्शन लेने के ।
शाहरुख ने इससे पहले भी स्टैंड लिया । आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेलने को लेकर । आईपीएल के पीछे बीसीसीआई थी , बड़े उद्योगपति थे , लेकिन सेना की धमकी के बाद किसी ने भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों को लेने की हिम्मत नहीं दिखाई । माई नेम इज खान के समय भी उन्होंने स्टैंड लिया । क्या हुआ ? दिलवाले का कितना विरोध हुआ ? किस हद तक दुष्प्रचार हुआ ?
शाहरुख खान एक कलाकार है , एंटरटेनर है , वह किसी रीजनीतिक गुंडे से भीड़ना - वह भी तब जब शासन उसके साथ है - उसके बस की बात नहीं ।
और जो लोग "रईस " के डायलोग "मियाँ भाई की डेयरिंग " को उद्धृत कर उसका मजाक उड़ा रहे हैं , उन्हें बता दूँ कि यह डायलॉग एक माफिया बोलता है , जो असल जिंदगी में शाहरुख नहीं है । शाहरुख की असल डेयरिंग है कि उसने फिल्म बैकग्राउंड से न होने के बावजूद हिरो बनने का सपना देखा और कामयाब हुआ । स्टार पुत्र न होने के बावजूद स्टार बना । शाहरुख की डेयरिंग यह है कि उसने तब नकारात्मक भूमिकाएँ कि जब यह फैशन नहीं था और हिरो अपनी इमेज से बाहर नहीं जा पाते थे । शाहरुख की डेयरिंग यह है कि वे स्टार होने के बावजूद स्वदेश, चक दे इंडिया , डियर जिंदगी जैसी फिल्में करते हैं ।
कोई शख्स लड़ते लड़ते हार गया तो इसका यह मतलब नहीं कि वह लड़ा ही नहीं । कोई थक कर झूक गया तो इसका यह मतलब नहीं कि वह कभी खड़ा नहीं हुआ । मुझे शाहरुख से ज्यादा अपने देश पर तरस आ रहा है ।





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें