शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

परफोर्मेंस पर जनेऊ भारी , मिश्रा टीम के अंदर और यादव बाहर ¡



परफोर्मेंस पर जनेऊ भारी , मिश्रा टीम के अंदर और यादव बाहर ¡
क्या कहा जाए यदि एक टेस्ट में शतक जड़ने वाले बल्लेबाज को अगले मैच से बाहर कर दिया जाए और कोई चर्चा तक न हो ¿
इंग्लैंड के खिलाफ पिछले टेस्ट में जयंत यादव ने शतक लगाया था । गौर करने वाली बात यह है कि वे नौ नम्बर पर खेलने आए थे । कोहली के जिस दोहरे शतक की खूब चर्चा हुई और मैन ऑफ द मैच अवार्ड मिला , उसमें भी जयंत यादव की भूमिका थी । टेस्ट क्रिकेट में साझेदारियाँ महत्वपूर्ण होती हैं , वरना एक सिरे से रन बने और दूसरे सिरे से विकेट गिरतें तो अच्छा स्कोर नहीं बन पाता है । पिछले टेस्ट में विकेट भले ही एक लिया , लेकिन उससे पहले के दो टेस्ट में चार विकेट लिए । एक अर्धशतक समेत उपयोगी पारियाँ भी खेलीं । इसके बावजूद टीम में उसके लिए जगह नहीं है ।
उसकी जगह लाया गया अमित मिश्रा को । राजकोट के मैच में उसने तीन विकेट लिया था और शून्य रन बनाया था । मिश्रा का पर्फोरमेंस किस लिहाज से जयंत से बेहतर था ¿ उल्टे जयंत यादव युवी हैं । उसे फेल होने में भी सपोर्ट मिलना चाहिए , लेकिन यहाँ तो अच्छे प्रदर्शन को भी नजरअंदाज किया जा रहा है ।
कहा जा सकता है कि भारत एक लेग स्पीनर को खिलाना चाहता होगा । तो फिर क्या उसके लिए जयंत यादव को हीे जाना था ¿क्रिकेट में ब्राह्मणों का वर्चस्व रहा है । प्रभाष जोशी कहते थे कि एक ब्राह्मण ही अच्छा बल्लेबाज हो सकता है । लेकिन यहाँ शतक लगाने वाले एक यादव को एक मिश्रा से रिप्लेस किया जाता है । एक ऑलराउंडर को एक गैेदबाज से जिनका हालिया प्रदर्शन टेस्ट में ऐसा नहीं है कि उसके लिए खास जगह बनाई जाए ।
वर्चस्व ऐसे ही बनाए रखा जाता है जब प्रदर्शन से ज्यादा अन्य फैक्टर प्रभावी हो जाते हैं । जब वर्चस्वशाली समूह को अन्य के मुकाबले ज्यादा मौके मिलते हैं । गलतियाँ माफ होती हैं और पुरस्कार प्रदर्शन से ज्यादा दिया जाता है । यही वह मेरिट है जो बहुजनों के पास नहीं है । हालिया दिनों में भारतीय क्रिकेट में उमेश यादव और जयंत यादव ने जगह बनाई , लेकिन उन्हें वे अवसर हासिल नहीं जो ईशांत शर्मा और इस बार अमित मिश्रा को हासिल है ।
मेरिट मेरिट करने वालोंके लिए जनेऊ ही मेरिट है ।
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