बुधवार, 21 दिसंबर 2016

चीन पाक आर्थिक कैरिडोर



टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के अनुसार पाकिस्तान सेना के एक उच्च पदस्थ जनरल ने सार्वजनीक मंच से भारत को चीन पाक आर्थिक कैरिडोर में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया । यदि यह सुझाव या आमंत्रण किसी राजनीतिक पद पर बैठे शख्स मसलन प्रधानमंत्री या विदेशमंत्री ने दिया होता तो इसका अलग ही महत्व होता । लेकिन पाक की राजनीति में सेना की भूमिका को देखते हुए इस आमंत्रण का अपना महत्व है ।
गौरतलब है कि रुस जैसे भारत के पारंपरिक सहयोगी ने भी इसमें शामिल होने की ईच्छा जताई है । यहाँ तक कि उन्होंने भारत की आशंकाओं को दरकिनार करते हुए पाक के साथ सैन्य अभ्यास भी किया । ईरान ने भी इसमें शामिल होने की ईच्छा जताई है ।
भारत की चिंता वाजिब है । यह कैरिडोर पाकिस्तान के उस हिस्से से गुजरता है जिसपर भारत का दावा है । लेकिन यह प्रोजेक्ट बहुत ही अच्छा है । और पुरे केंद्रीय एशिया पाक , चीन, अफगानिस्तान , ईरान आदि के साथ भारत के लिए भी फायदेमंद हो सकता है । बशर्ते भारत इसमें शामिल होने का जोखिम उठाए ।
वैसे भी भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार होता ही है । भारत ने पाक को मोस्ट फेवर्ड नेशन का ओहदा भी दिया है । तो क्यों न इस व्यापार और परस्पर निर्भरता को और बढ़ाया जाए ताकि भारत और पाक के बीच मित्रता न सही लेकिन इस कदर परस्पर निर्भरता हो जाए कि युद्ध एक घाटे का सौदा हो जाए ।
भविष्य में और आज भी देशों के परस्पर संबंध आर्थिक मुद्दों पर तय हो रहे हैं । तो आर्थिक संबंध बने रहने चाहिए ।
बाकी रही बात सीमा पार आतंकवाद की तो उससे निबटने के लिए सेना और सुरक्षा एजेंसियाँ हैं । वे कर लेंगी ।

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