सोमवार, 16 नवंबर 2015

मेहरबानी होगी जो कुछ न पुछो !

 कुछ मत पुछो !
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- आपका घर कहाँ है !? आपका होम टाउन कहाँ है !?
-घर मे कौन कौन है !?
- आप छुट्टी मे घर नहीं गए !?
- आप दिवाली नहीं मनाते !?
-आपकी शादी हो गई !?
- शादी क्यों नहीं हुई !?
-आप स्मार्ट फोन क्यों  नहीं रखते हैं !?
-आप शौल क्यों ओढ़ते हैं ?
आदि आदि !
ऑफिस हो या रिहाइश का कमरा , पड़ोसी हो या सहकर्मी तरह तरह के सवाल ! हालांकि मानता हूँ  कि ये लोग सवाल बहुत सहजता से करते हैं , कोई अन्य मतलब नहीं होता , सच पूछिए तो इन्हे जवाब जानने की भी इच्छा नहीं होती , बस यूं ही बात कहने के लिए कुछ पूछ लेते हैं ! अमूमन टाल देता हूँ !चुप रहकर , घूर कर ! जाने दीजिये, कोई और बात कीजिये , आदि  कहकर !असहिष्णु, असामाजिक , घमंडी आदि का तमगा मुफ्त मे मिल जाता है ! खैर !इसे मैं  हर किसी के सवाल का जवाब देने , सफाइयां  देते रहने से बेहतर मानता हूँ !लेकिन कई बार बर्दाश्त से बात बाहर होने लगती है और तबीयत से गरियाने की इच्छा को बमुश्किल दबा पता हूँ !क्या पता किसी दिन सब्र छलक जाये !और सुना ही दूँ किसी को !
-आपका घर कहाँ है ?
-दस गज जमीन के नीचे !
-आप छुट्टी में  घर नहीं गए !
- न ! मसान मे शव साधना करनी थी इसलिए  नहीं गया !
-आप दिवाली नहीं मनाते !
- न ! मैं तमराज किलविष का भक्त हूँ , इसलिए नहीं मनाया !
-आपकी शादी हो गई !?
-रिश्ता लेकर आए हैं क्या !?
-शादी क्यों नहीं हुई !?
-अब ससुरों ने दहेज बचाने के लिए बेटियाँ ही पैदा न की तो मैं क्या करूँ !?
-आप स्मार्ट फोन क्यों नहीं रखते !?
- मैं भुच्च गँवार ! स्मार्ट हूँ नहीं तो स्मार्ट फोन  कैसे रखूँगा !
-आप शौल क्यों ओढ़ते हैं !
- कमीज फट गई है !ढंकने के लिए ! रफू के पैसे नहीं हैं !
आदि आदि !
शराफत और शालीनता  का भार कभी कभी असहनीय हो जाता है !
मेहरबानी होगी जो  कुछ न पुछो !

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