रविवार, 15 नवंबर 2015

वे अवार्ड क्यों नहीं लौटा रहे !- प्रत्युत्तर

वे अवार्ड क्यों नहीं लौटा रहे !-प्रत्युत्तर
-----------------------------------------------------------------------------------------------
पहले वे पूछ रहे थे तब क्यों  नहीं लौटाया , अब क्यों लौटा रहे हो !अब वे पूछ रहे हैं कि पेरिस हमले के बाद पुरस्कार क्यों नहीं लौटा रहे !संदर्भ पेरिस हमले का है !और सवाल उन बुद्दिजीवियों से किया जा रहा है जो समाज मे बढ़ती असहिष्णुता और सांप्रदायिकता के विरोध मे पुरस्कार लौटा रहे थे !लेकिन निशाना सिर्फ साहित्यकार नहीं सारे सेक्युलर , उदारवादी हैं !
खैर !अब जवाब दिया जाए !
पुरस्कार कोई संस्था या सरकार देती है !पुरस्कार हम उसे ही लौटा सकते हैं जिसने दिया !और यह सु स्थिति मे लौटाया जाता है जब आप उस सरकार या संस्था की किसी कार्यवाही से घनघोर असहमति और विरोध जताना चाहते हैं ! पुरस्कार वापसी के संबंध मे पुरस्कार सरकार या सरकार की किसी संस्था ने दिया था ! विरोध बढ़ी हुई सांप्रदायिकता , लेखों पर हमले और हत्या , इसपर सरकार और संस्थाओं की चुप्पी से था और पुरस्कार सरकार को लौटाया गया !
अब आते हैं , पेरिस हमले पर !यह हमला जिन आतंकवादियों ने किया है वे कोई सरकार नहीं हैं आतंकवादी संगठन है !वे कोई पुरस्कार नहीं देते !उनकी नीतियों का विरोध पुरस्कार लौटकर तो हरगिज नहीं किया जा सकता ! मान लीजिये फ्रांस ने किसी पर हमला किया तो संभव है उस नीति से असहमत बुद्धिजीवी -यदि वह फ्रांस सरकार या वहाँ की संस्था से पुरस्कृत है तो - विरोध मे पुरस्कार लौटा सकता है !
पेरिस हमले को लेकर भारत के बुद्धिजीवियों से ऐसे सवाल करना हास्यास्पद है !क्या आईएसआईएस ने किसी भारतीय लेखक आदि को कोई पुरस्कार दिया है जो वे लौटाएँ !? और भारत का बुद्धिजीवी वर्ग क्योंकर किसी अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घटना के लिए जवाबदेह हो गया !? अगर इतनी से बात समझ मे नहीं आती तो कहा जाय ! भाई पहले समझिए , फिर लिखिए !


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें