वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला
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" वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला ..... " एक मराठी गाना है जो महाराष्ट्र मे काफी लोकप्रिय है ! धुन मजेदार है, थिरकाने वाला ! मस्ती के मूड के लिए एकदम उपयुक्त !
महाराष्ट्र मे था तो काफी सुनाई देता था !जिसमे अचरज कुछ भी नहीं !अचरज तो तब हुआ जब यह गाना असम मे सुना ! वह भी कालीपुजा के प्रतिमा विसर्जन मे ! लोग नाच रह थे इसकी धुन पर !पता नहीं वे समझ रहे भी थे या नहीं ! असम मे बंगाली गाना सुनना कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि यहाँ बंगाली आबादी बहुत बड़ी संख्या मे रहती है !हिन्दी यहाँ तक कि भोजपुरी गाने भी बहुत सुनाई देते हैं क्योंकि हिन्दी भाषियों -ज़्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार के - की भी अच्छी ख़ासी जनसंख्या है ! अब असम है तो आसामिया गाने तो रहेंगे ही !
लेकिन मराठी गाना !? सचमुच हैरत की बात है ! इक्का दुक्का मराठी मानुष यहाँ भले ही हैं सरकारी नौकरी की मजबूरीयों की वजह से हैं लेकिन वे इस हद तक असर नहीं रखते कि एक मराठी गाने को लोकप्रिय कर दे !
वजह यही समझ मे आती है कि इन दिनों नेट की वजह से भौगौलीक दूरियाँ ज्यादा माने नहीं रखती !और संगीत वैश्विक भाषा है !! इस गाने की धुन इतनी अच्छी झूमा देने वाली है कि आप गाना भले ही न समझे आपको गुनगुनाने /नाचने का मन जरूर करेगा !
!!! इस गाने की गायिका है मानसी नाईक ! निस्संदेह मराठी भाषा और संस्कृति के राजदूत ये कलाकार है ! कोई ठाकरे नहीं जो -मराठी के नाम पर गुंडागर्दी करता है ! जिसका नारा -मराठी बोला किंवा परत जा ( मराठी बोलो वरना वापस माने दूसरे राज्य जाओ ) गैर मराठियों के मन मे मराठी भाषा के प्रति वितृष्णा ही पैदा करते हैं , मराठी भाषा के प्रति कोई लगाव नहीं पैदा कर पाता !!असम के लोग असम मे एक मराठी गाने पर नाचे वह भी स्वेच्छा से यह मानसी नाईक या उन जैसे कलाकार ही कर सकते हैं कोई ठाकरे नहीं , अपने समस्त धनबल , बाहुबल और राजनीतिक ताकत के बावजूद नहीं !
यू ट्यूब पर गाना मौजूद है ! जरूर सुनिए !
तो सलाम मानसी नाईक !
द्वारा - श्रवण
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" वाट माझी बघतोय रिक्षा वाला ..... " एक मराठी गाना है जो महाराष्ट्र मे काफी लोकप्रिय है ! धुन मजेदार है, थिरकाने वाला ! मस्ती के मूड के लिए एकदम उपयुक्त !
महाराष्ट्र मे था तो काफी सुनाई देता था !जिसमे अचरज कुछ भी नहीं !अचरज तो तब हुआ जब यह गाना असम मे सुना ! वह भी कालीपुजा के प्रतिमा विसर्जन मे ! लोग नाच रह थे इसकी धुन पर !पता नहीं वे समझ रहे भी थे या नहीं ! असम मे बंगाली गाना सुनना कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि यहाँ बंगाली आबादी बहुत बड़ी संख्या मे रहती है !हिन्दी यहाँ तक कि भोजपुरी गाने भी बहुत सुनाई देते हैं क्योंकि हिन्दी भाषियों -ज़्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार के - की भी अच्छी ख़ासी जनसंख्या है ! अब असम है तो आसामिया गाने तो रहेंगे ही !
लेकिन मराठी गाना !? सचमुच हैरत की बात है ! इक्का दुक्का मराठी मानुष यहाँ भले ही हैं सरकारी नौकरी की मजबूरीयों की वजह से हैं लेकिन वे इस हद तक असर नहीं रखते कि एक मराठी गाने को लोकप्रिय कर दे !
वजह यही समझ मे आती है कि इन दिनों नेट की वजह से भौगौलीक दूरियाँ ज्यादा माने नहीं रखती !और संगीत वैश्विक भाषा है !! इस गाने की धुन इतनी अच्छी झूमा देने वाली है कि आप गाना भले ही न समझे आपको गुनगुनाने /नाचने का मन जरूर करेगा !
!!! इस गाने की गायिका है मानसी नाईक ! निस्संदेह मराठी भाषा और संस्कृति के राजदूत ये कलाकार है ! कोई ठाकरे नहीं जो -मराठी के नाम पर गुंडागर्दी करता है ! जिसका नारा -मराठी बोला किंवा परत जा ( मराठी बोलो वरना वापस माने दूसरे राज्य जाओ ) गैर मराठियों के मन मे मराठी भाषा के प्रति वितृष्णा ही पैदा करते हैं , मराठी भाषा के प्रति कोई लगाव नहीं पैदा कर पाता !!असम के लोग असम मे एक मराठी गाने पर नाचे वह भी स्वेच्छा से यह मानसी नाईक या उन जैसे कलाकार ही कर सकते हैं कोई ठाकरे नहीं , अपने समस्त धनबल , बाहुबल और राजनीतिक ताकत के बावजूद नहीं !
यू ट्यूब पर गाना मौजूद है ! जरूर सुनिए !
तो सलाम मानसी नाईक !
द्वारा - श्रवण
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