सवाल सभी से होंगे और होने चाहिए
- जेएनयू प्रशासन से ।
क्यों वह नामंकन के लिए पारदर्शी व्यवस्था के बजाए वायवा के द्वारा नामंकन लेना
चाहते हैं ? क्यों नहीं भेदभावपूर्ण व्यवहार करने वाले
शिक्षकों पर कार्यवाई की गई ?
- उन छात्र संगठनों से
- जिनमें अधिकाँश वाम विचारधारा से हैं - कि उनकी भूमिका क्या है ? हर मुद्दे पर नारेबाजी और धरना प्रदर्शन करने वाले इस मुद्दे पर कुछ बोल
रहे हैं या नहीं ? या बोल रहे हैं तो सुनायी क्यों नहीं दे
रहा?
- उन दलित/बहुजन नेताओं
से कि जिनके प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं , ठोस मुद्दे
पर कहाँ गायब हो जाते हैं ? शिक्षा उनके एजेंडे पर क्यों
नहीं है ? और वे इसके लिए क्या कर रहे हैं खासतौर से वे जो
अभी केंद्र सरकार में शामिल हैं ?
-और बहुजन समाज से - जो
इन मुद्दों पर उदासीन क्यों है ? क्यों नहीं वे बहुजन हित
में लड़ने वालों के साथ खड़ी होती है ?
- और हमारे जैसों से भी
- जो लिखते हैं , बस लिखते हैं । लिखने का अपना महत्व है पर
इसके अलावा क्या कर रहे हैं ?
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