मंगलवार, 3 जनवरी 2017

इरादे 2017



इरादे 2017
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नए साल के संकल्प टिकते नहीं हैं । इसलिए बनाने की इच्छा भी नही रही अब । पुरे कर नहीं पाता हूँ । लेकिन इरादे तो रख ही सकता हूँ । न सही पुरा, कुछ तो करुँगा ही ।
इसलिए कुछ इरादे हैं इस साल और आने वाले हर साल के लिए ।
1 ) लड़ना है ।
लोग कहते हैं कि मैं लड़ाकू हूँ । लड़ता हूँ , यह सच है । लेकिन कभी - यदा कदा छोड़कर - झगड़ा करने के लिए कभी झगड़ा नहीं किया । हमेशा कुछ न कुछ मुद्दा रहा , जहाँ "यस सर " की अपेक्षा होती है , वहाँ प्रतिरोध किया , गलत को गलत कहा , निजी फायदा नुकसान को तौलने के बजाए सही और गलत तौल कर कहा और लिखा , इमेज की परवाह नहीं की , न ही संबंधों की । यह सब मेरे ज्ञान , अनुभव और सामर्थ्य की सीमा के बावजूद किया । और यह रवैया इस साल और आगे भी रहेगा । लड़ाई जारी रहेगी और कलम ही मेरा हथियार रहेगा ।
2 ) लिखना है !
कभी लेखक बनने की ख्वाहिश थी । अब बस लिखने की इच्छा होती है , लेखक बनने की नहीं । मैं वही लिखुँगा जो मैं लिख सकता हूँ । न सही लेख , फेसबुक टिप्पणियाँ ही सही । न छपूँ पत्र पत्रिकाओं में - मेरा ब्लॉग ही सही । न सही कहानी या उपन्यास - वनलाइनर ही सही । क्या फर्क पड़ता है जो मिरे लिखने से फर्क न पड़े ? क्या फर्क पड़ता है जो मेरा लिखा कोई न पढ़े ?
बस, लिखना है !
3 ) पढ़ना है !
सबकुछ पढ़ना है । सेक्स से लेकर दर्शन तक , राजनीति से लेकर फिल्म तक , खेल से लेकर कला तक , धर्म , मनोविज्ञान , खानपान , अपराध सब । अध्ययन और पढ़ने के आनंद के लिए पढ़ना जारी रहेगा । देश और दुनिया के बेहतरीन लेखकों को पढ़ना है । जिन मुद्दों पर लिखता हूँ , उन मुद्दों पर संदर्भ ग्रंथ माने जाने वाली कुछ किताबों को पढ़ना है । अखबार में संपादकीय और विचार /मंतव्य अवश्य ही पढ़ना है ।
हर रोज सोने से पहले पढ़ना है - भले ही दस सिर्फ दस पन्ने !
4) घूमना है !
ज्यादा लंबे टूर पर न जा सकूँ तो आजू बाजू के शहर ही सही ,घूमुँगा जरुर ! महीने में एक बार तो घूमने के लिए निकलना ही है । कोशिश करुँगा कि साल में चार नई जगहों पर जा सकूँ । संभव हुआ तो विदेश का बैकपैक टूर करुंगा ।
साथ में अच्छो फोटो और अपने अनुभव भी दर्ज करुँगा ।
ये इरादे हैं । कोशिशे भी होंगीं । सब नहीं तो कुछ पुरी भी होंगी ।
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