इरादे 2017
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नए साल के संकल्प टिकते नहीं हैं ।
इसलिए बनाने की इच्छा भी नही रही अब । पुरे कर नहीं पाता हूँ । लेकिन इरादे तो रख
ही सकता हूँ । न सही पुरा, कुछ तो करुँगा ही ।
इसलिए कुछ इरादे हैं इस साल और आने
वाले हर साल के लिए ।
1 ) लड़ना है ।
लोग कहते हैं कि मैं लड़ाकू हूँ ।
लड़ता हूँ , यह सच है । लेकिन कभी
- यदा कदा छोड़कर - झगड़ा करने के लिए कभी झगड़ा नहीं किया । हमेशा कुछ न कुछ
मुद्दा रहा , जहाँ "यस सर " की अपेक्षा होती है ,
वहाँ प्रतिरोध किया , गलत को गलत कहा ,
निजी फायदा नुकसान को तौलने के बजाए सही और गलत तौल कर कहा और लिखा ,
इमेज की परवाह नहीं की , न ही संबंधों की । यह
सब मेरे ज्ञान , अनुभव और सामर्थ्य की सीमा के बावजूद किया ।
और यह रवैया इस साल और आगे भी रहेगा । लड़ाई जारी रहेगी और कलम ही मेरा हथियार
रहेगा ।
2 ) लिखना है !
कभी लेखक बनने की ख्वाहिश थी । अब बस
लिखने की इच्छा होती है , लेखक बनने की नहीं ।
मैं वही लिखुँगा जो मैं लिख सकता हूँ । न सही लेख , फेसबुक
टिप्पणियाँ ही सही । न छपूँ पत्र पत्रिकाओं में - मेरा ब्लॉग ही सही । न सही कहानी
या उपन्यास - वनलाइनर ही सही । क्या फर्क पड़ता है जो मिरे लिखने से फर्क न पड़े ?
क्या फर्क पड़ता है जो मेरा लिखा कोई न पढ़े ?
बस,
लिखना है !
3 ) पढ़ना है !
सबकुछ पढ़ना है । सेक्स से लेकर दर्शन
तक , राजनीति से लेकर
फिल्म तक , खेल से लेकर कला तक , धर्म
, मनोविज्ञान , खानपान , अपराध सब । अध्ययन और पढ़ने के आनंद के लिए पढ़ना जारी रहेगा । देश और
दुनिया के बेहतरीन लेखकों को पढ़ना है । जिन मुद्दों पर लिखता हूँ , उन मुद्दों पर संदर्भ ग्रंथ माने जाने वाली कुछ किताबों को पढ़ना है ।
अखबार में संपादकीय और विचार /मंतव्य अवश्य ही पढ़ना है ।
हर रोज सोने से पहले पढ़ना है - भले
ही दस सिर्फ दस पन्ने !
4) घूमना है !
ज्यादा लंबे टूर पर न जा सकूँ तो आजू
बाजू के शहर ही सही ,घूमुँगा जरुर ! महीने
में एक बार तो घूमने के लिए निकलना ही है । कोशिश करुँगा कि साल में चार नई जगहों
पर जा सकूँ । संभव हुआ तो विदेश का बैकपैक टूर करुंगा ।
साथ में अच्छो फोटो और अपने अनुभव भी
दर्ज करुँगा ।
ये इरादे हैं । कोशिशे भी होंगीं । सब
नहीं तो कुछ पुरी भी होंगी ।
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