शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

डिजीटल लेनदेन निजी अनुभव



इन दिनों मोबाइल में  भीम , यूपीआई , मोबाइल बैंकिंग एप्प सभी रख लिया है । प्रयोग के तौर पर अलग अलग दुकानों में जा रहा हूँ । खरिदारी कर रहा हूँ । भूगतान के लिए डिजीटल पेमेंट की जिद करता हूँ । अलग अलग अनुभव हो रहा है ।
- पहली बात लोग अभी भी नकद भूगतान ही चाहते हैं । लगभग ढाई महीने के बाद भी अधिकाँस के पास स्वाइप मशीन नहीं है और न ही सभी जगह पेटीएम की सुविधा है । रहने पर भी सुविधा के लिए नकद का आग्रह करते हैं ।
- कई दूकान कर्मचारियों के भरोसे चलते हैं । उसे बैंक के खाते का भी पता नहीं रहता है । न ही अलर्ट में उसका नंबंर रहता है । इसलिए खाते में भूगतान संभव नहीं होता है ।
- जो लोग मुझे पहचानते हैं - जिनसे नियमित लेनदेन हैं - वे खाते में भूगतान ले लेते हैं । मैनें ऑफिस के बगल में फल की दूकान से एक संतरे के लिए दस रुपए का भूगतान उसके खाते में किया । लेकिन सब्जी/फल बाजार में कोई भी खाते में भूगतान के लिए तैयार नहीं हुआ । नकद ही माँगा गया । वरना सामान न खरीदूँ - सीधा जवाब था ।
- सैलून वाला सभी से नकद भूगतान ले रहा है । पोटीएम का भी विकल्प नहीं रखा । मेरे जिद पर उसने खाते में भूगतान लेना स्वीकार किया । उसके फोन में यूपीआई इनस्टॉल कर चालू मुझे ही करना पड़ा । लेकिन भूगतान खाते में ले लिया ।
- एक दो दवाईयों की दूकान छोड़कर सब पर दवाईयों के लिए भी नकद भूगतान करना पड़ता है ।अस्पतालों में भी नकद भूगतान करना पड़ा है ।
- फेसबुक पर सब्जी वाले /गोलगप्पे वाले - यहाँ कार्ड/पेटीएम स्वीकार करते हैं - बोर्ड के साथ नजर आते हैं , लेकिन डिब्रुगढ़ में अभी तक एक भी ऐसा सब्जीवाला /गोलगप्पे वाला/रेहड़ी वाला नहीं मिला है ।
- छूट्टे/छोटे नोट की समस्या बनी हुई है । लेकिन इस कदर नहीं कि खाना और आना जाना ही दूभर हो जाए ।

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