रविवार, 9 जुलाई 2017

कार्यालय में ड्रेस कोड

पिछले दिनों कुछ सरकारी बैंकों ने गणवेश (ड्रेस कोड ) के लिए दिशा निर्देश जारी किये । कोई ड्रेस तो निर्धारित नहीं किया , लेकिन तकनीकि भाषा में जो निर्देश दिये , उन्हें कर्मचारी लोग सहज रुप से पालन करते ही हैं । ये निर्देश गैरजरुरी लगे ।
यहाँ मुझे एक घटना याद आ रही है जहाँ एक बैंक ने चार्जशीट में एक चार्ज यह भी लगाया था कि कर्मचारी - जो रिटायरमेंट के करीब पहुँचे यूनियन लीडर थे , कि वे कुर्ता पाजामा पहन कर ऑफिस आते हैं । मने हद है !
यह सच है कि एक ड्रेस रहने से एक तरह की साम्यता और अनुशासन झलकता है । लेकिन यह भी ध्यान देना चाहिए कि दर्शनीय होने के चक्कर में ड्रेस की सहजता न खो जाए । काम करने में परेशानी न होने लगे ।
किसी मॉल में काम करने वाली सेल्स गर्ल को देखिए । हाई हील उनके परिधान का हिस्सा है । पर जरा गौर कीजिए कि हाई हील में थोड़ी लंबी ,प्रभावशाली और शाइस्ता भले ही लगती हैं , लेकिन यह उनके काम को दूभर बनाता है जिसमें उन्हें लगभग दिन भर खड़े रहना पड़ता है । डोर टूडोर सेल करने वालों को चमड़े के जूते पहनने के लिए कहा जाता है , जिसमें ज्यादा चलना जो उनके पेशे में आवश्यक है , सही नहीं है । स्पोर्टस शू ज्यादा उपयूक्त है , भले ही थोड़ी कैजूअल फीलिंग आती हो ।
इस तरह गर्म मौसम में कोट और टाई लगाए साहबों को देखिए । एसी ऑफिस से एसी घर में आने वाले और बीच में एसी कार में सफऱ करने वालों को यह भले ही तकलीफदेह न लगे , लेकिन बिना एसी वाली जगह में दिन भर सूट पहनने की कल्पना कीजिए , जब पारा 45 + डिग्री हो ।
मेरे निजी मत में ड्रेस के मामले में दर्शनीयता से अधिक सहजता को महत्व दिया जाना चाहिए । कार्यालय में जिंस , स्पोर्टस शू आदि की स्वीकार्यता होनी चाहिए ।
फैशन के झक में लोग एक से एक असहज पोशाक पहनते ही हैं । कार्यस्थल पर इसे थोपना उचित नहीं ।

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