मंगलवार, 25 जुलाई 2017

विश्वविद्यालय पर हमला

एक बार फिर जेएनयू चर्चा में है । कारण शिक्षा के अलावा अन्य कारण से है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता है । जेएनयू के अलावा जामिया , अलीगढ़ विश्वविद्यालय आदि भी शिक्षेतर कारणों से चर्चा में रहे हैं । इसका कारण सरकार का विश्वविद्यालय में गैरजरुरी हस्तक्षेप है । वर्तमान सरकार इन विश्वविद्यालयों में "अपने लोग " बैठाना चाहती है । इसके पहले की भी सरकारें अपने लोगों को उपकृत करती रही हैं । लेकिन ऐसे लोग चुने जाते थे जिनका अपने क्षेत्र में योगदान असंदिग्ध रहता था । लेकिन इस सरकार के पास ऐसे लोग हैं ही नहीं ।
ये विश्वविद्यालय देश के श्रेष्ठ विश्विद्यालय माने जाते हैं । इनकी भी अपनी कमियाँ हैं और इनमें भी सुधार की पर्याप्त संभावना है । फिर भी ये ऐसे ढेर सारे विश्वविद्यालयों से अच्छे हैं जिनका सत्र दो-तीन साल लेट चलता है । जिनसे संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाई नहीं होती , पर्याप्त शिक्षक नहीं है , भवन भी नहीं है , जो कागज पर ही चल रहे हैं , जो बस डिग्री बाटने की दूकानें मात्र हैं ।
अफसोस की बात है ऐसे विश्वविद्यालयों को सुधारने के बजाए अपेक्षाकृत बेहतर विश्वविद्यालयों में राजनीतिक पकड़ बनाने के लिए शिक्षाविरोधी कदम उठा रही है और इन्हें बरबाद करने पर तुली है ।

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