शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

एनडीटीवी पर प्रतिबंध



मैने एक अर्से से टीवी ही नहीं देखा, इसलिए कोई भी न्यूज चैनल नहीं देखता हूँ । इसलिए विभिन्न न्यूज चैनलों के बारे में अखबारों और फेसबुक मित्रों की पोस्ट से ही पता चलता है । इसलिए भिन्न चैनलों के कंटेंट पर साधिकार कुछ नहीं कह सकता हूँ ।
हाल में एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबंध लगाया गया है । कारण बताया जा रहा है कि उसने पठानकोट हमले के दौरान गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता की और भारत की सुरक्षा से संबंधित जानकारी पब्लिक में ले आए जिससे सेना को नुकसान हुआ । एक तरफ पत्रकार बिरादरी में ज्यादातर लोग इसे अघोषित आपातकाल की निशानी बता रहे हैं तो भाजपा समर्थक खुशियाँ व्यक्त कर रहे हैं ।
पहली बात यह है कि यदि आरोप सच नहीं लगते । यह बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे किसी बड़ी चूक को ढँकने के लिए आसान टार्गेट चुना गया है । पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा की जिम्मेदारी सैन्य बलों की है । क्या उसके लिए किसी तरह की जवाबदेही तय की गई है ? क्या जाँच का परिणाम जनता को बताया गया है ?
दूसरे - बताया जाना चाहिए कि किस तरह एनडीटीवी की रिपोर्टिंग ने सुरक्षा को खतरे में डाला और अन्य चैनलों की रिपोर्टिंग क्या इस दोष से मुक्त है ? किस आधार पर एनडीटीवी को दोषी पाया गया और अन्य चैनल दोषमुक्त पाए गए ? और एक दिन के प्रतिबंध के बजाए आर्थिक दंड आदि के विकल्प पर विचार किया गया क्या ?
मीडिया से मुझे बतौर उपभोक्ता मुझे शिकायते हैं , लेकिन इस कारण सरकार द्वारा मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिशों का समर्थन नहीं कर सकता हूँ । जो लोग प्रतिबंध पर खुशियाँ जता रहे हैं, सिर्फ इसलिए कि वे इसे पाकिस्तानी चैनल , देशद्रोही मानते हैं , शायद नहीं समझते कि न्यूज सिर्फ वह नहीं है जो सरकार बताए , न्यूज वह भी है जो सरकार के खिलाफ हो । देशहित के नाम पर यदि लोकतंत्र के आधार स्तंभों - जिनमें मीडिया भी एक है - पर इसी तरह हमले होते रहे तो देश इससे कमजोर ही होगा ।
स्वतंतर मीडिया के पक्ष में , प्रतिबंध के खिलाफ मेरा विरोध दर्ज किया जाए ।





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