यह एक विचित्र समय है जब लोग सवाल
सत्ता से नहीं पूछ रहे हैं , सत्ता से सवाल करने वालों से ही सवाल पूछ रहे हैं ।
जैसा कि बार बार कहा गया है कि बिना
जवाबदेही के अधिकार नहीं हो सकता और बिना अधिकार के जवाबदेही नहीं हो सकती है ।
फिलहाल सत्ता जिनके हाथ में है , सवाल उनसेही होंगे । इनसे पहले जो थे, उनसे भी सवाल
होत थे । आगे जो आएँगे , उनसे भी सवाल होंगे ।
हमारे सवाल इसलिए है कि जनता की
हैसियत से है, काँग्रेस के प्रवक्ता
की हैसियत से नहीं । इसलिए काँग्रेस की कारगुजारियाँ उनसे ही पूछिए । वैसे
काँग्रेस से सवाल तब जायज थे जब वे सत्ता में थे । अब वे विपक्ष में हैं तो उनका
मुल्यांकन बतौर विपक्ष होगा । सरकार की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की है ।
हम सवाल इसलिए करते हैं कि हम जनता
हैं । तारीफ करने के लिए तो पुरी सरकारी मशीनरी है । जनता का काम जयकारा लगाना
नहीं है । हम सरकार इसलिए चुनते हैं कि वे जनहित में काम करें । इसके लिए उनके पास
सत्ता और संसाधन पर अधिकार है । क्या वे अधिकार हमारे जैसों के पास हैं कि हमसे
सवाल करते हैं ?
और जो मोदी , भाजपा के समर्थन में भक्त बने हुए हैं ,
बेहतर है वे जनता का हिस्सा बने रहें ।
और आखिर में ! प्रधानमंत्री से सवाल
करने , उनके काम का
मुल्यांकन करने के लिए प्रधानमंत्री होना जरुरी नहीं है , नागरिक
होना काफी है , जोकि मैं हूँ ।
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