पश्चिम बंगाल का नाम बदल कर बंगाल
करने का प्रस्ताव विचाराधीन है । निश्चय ही पश्चिम बंगाल उस दौर की निशानी है जब
भारत अविभाज्य था और पूरा बंगाल भारत में था । राजनीतिक कारणों से बंगाल का विभाजन
करने की कोशिश भारत की आजादी के पहले भी हुआ था । फिर 47 में बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान के रूप में
भारत से अलग हो गया । लेकिन भारत में बचा हिस्सा बंगाल के बजाय पश्चिम बंगाल
कहलाता रहा जबकि भारत के हिसाब से पूर्व में पड़ता था । पश्चिम हटने के साथ ही उस
दौर की निशानी भी जाएगी ।
इन दिनों कश्मीर विभाजन और तत्सम्बंधी
परेशानियों से जूझता नजर आता है। लेकिन सच पूछिए तो विभाजन की त्रासदी तो सबसे
ज्यादा बंगालियों और पंजाबियों को भोगनी पड़ी है । साझा संस्कृति, भाषा और साहित्य वाले दो अलग अलग राष्ट्रियता
में बाँट गए । विभाजन के दौरान सबसे ज्यादा हिंसा और पलायन भी इन्ही के हिस्से आया
।
एक बात और काबिलेगौर है । कहीं पढ़ा था
कि कहीं विदेश में भारत और पाकिस्तान के पंजाबी मिलते हैं तो अपनी पहचान पंजाबी के
रुप में देते हैं और भिन्न राष्ट्रियता पर सांस्कृतिक एकता भारी पड़ती है । इसके
विपरीत कोलकाता में रहते हुये नोट किया कि बंगाली भी बंगलादेशी को हिकारत की नजर
से देखते हैं और गाली देने के लिए " बंगलादेशी " कहते हैं । पंजाब और
बंगाल का यह अंतर कोई समाजशास्त्री और या संस्कृति विशेषज्ञ ही समझा सकता है ।
खैर !नाम बदलने की कवायद और राजनीति
का विरोध ही करता रहा हूँ। लेकिन यह परिवर्तन स्वीकार योग्य है।
http://timesofindia.indiatimes.com/india/West-Bengal-name-change-Proposal-to-rename-it-Bengal-Bangla-Banga/articleshow/53504353.cms
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