सोमवार, 1 अगस्त 2016

नोबो



नोबो !
एक श्रमिक संघटन है - भारतीय मजदूर संघ । कहने के लिए स्वतंत्र है लेकिन संघ और भाजपा से नाभिनाल संबंध है । जैसा कि संघ के अनुसंगी संघटनों की कार्यशैली है - वे कभी भी अपने संबंध को स्वीकार नहीं करते, बस प्रभाव की बात मानते हैं। लेकिन व्यवहार में संघ से नियंत्रित होते हैं। जैसे एबीवीपी स्वतंत्र छात्र संघटन होने का दावा करती है लेकिन इसके छात्र नेता भाजपा में उच्च पदों पर गए हैं और मंत्री भी बने हैं । इसी तरह बीएमएस के कार्यक्रमों में भाजपा नेताओं की उपस्थिती नोट कीजिये , इनके नेताओं द्वारा भाजपा सरकार के लिए अपनी सरकार का सम्बोधन सुनिए तो स्पष्ट हो जाएगा कि बीएमएस किसका संघटन है ।
हाल फिलहाल में यूएफ़बीयू द्वारा आहूत हड़ताल में बीएमएस की बैंकिंग शाखा एनओबीओ भी शामिल थी । यह देखना दिलचस्प था कि जिस सरकार को यह अपनी सरकार कहती है उसीके के द्वारा प्रस्तावित मरजर आदि के विरोध में भी शामिल थे। यदि सरकार उनकी है तो फिर सरकार पर सीधे दबाव क्यों नहीं डाला गया ? ये दोनों तरफ होने का क्या मतलब है ? या कोई मतलब ही नहीं है ?
कोई समझाये जरा !

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