शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

नास्तिकता के पक्ष में – 3



नास्तिकता के पक्ष में 3
-         अक्सर कहा जाता है नास्तिक असामाजिक तत्व हैं और वे खामखा दूसरों की धार्मिक भावना आहत करते हैं । वे खुद को अलग दिखाने के लिए नास्तिक होने का ढोंग करते हैं ।
-         स्पष्ट करना चाहूँगा कि धर्म विरोधी होने के बावजूद मैं आपके धर्म के पालन करने , उसका प्रचार करने , धार्मिक संगठन बनाने , धार्मिक आयोजन करने आदि अधिकारों का समर्थन करता हूँ । ऐसा करना धर्म का समर्थन नहीं बल्कि धार्मिकों के नागरिक अधिकारों का समर्थन है ।
-         नास्तिकता एक विचार है , धर्म नहीं । इसका प्रचार करना , इसके समर्थन में आयोजन करना आदि आपकी आस्था को ठेस पहचाने के लिए नहीं किया जाता , बल्कि नास्तिक होने के लिए अनिवार्यत: धर्म और ईश्वर से टकराना पड़ता है ।
-         धार्मिक आयोजन में शामिल होना न होना किसी नास्तिक का व्याकितगत चुनाव है । वह सामाजिकता निभाने के लिए जाता है तो ठीक है , लेकिन वह नहीं जाने का चुनाव करता है तो वह असामाजिक नहीं हो जाता । उसके निर्णय का सम्मान होना चाहिए ।
-         धार्मिक आस्था का सम्मान करने का मतलब यह है कि आपके धर्म पालन में मैं बाधा नहीं बनूँगा, यह मतलब नहीं है कि आपके धर्म का मैं भी पालन करुँगा । यह मतलब नहीं है कि मैं अपने विचार आपकी आस्था के आहत होने के डर से बंद कर दूँगा । मेरे नास्तिक और अधार्मिक होने से आप आहत होते हैं तो यह आपकी समस्या है , मेरी नहीं ।
-         आप अपनी धार्मिकता मुझपर मत थोपिए , जैसे मैं आप पर अपनी नास्तिकता नहीं थोपता हूँ ।

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