शुक्रवार, 20 मई 2016

नारद जयंति



जो लोग नारद को पत्रकार मानते हैं और उनके नाम पर पत्रकारिता का पुरस्कार भी देते हैं और उनकी जयंति मनाते हैं , उनसे उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे निष्पक्ष और विश्वसनीय खबरें देंगे ! तथ्य और तर्कपूर्ण विश्लेषण करेंगे !
नारद एक मिथकीय चरित्र ही ठहरते हैं !फिर भी कथाओं के माध्यम से उनका जो चरित्र उभरता है वह पत्रकार का नहीं एक चुगलखोर , झगड़ा लगवाने वाले शख्स का लगता है !
मजे की बात यह है कि आस्थावान हिंदुओं में भी नारद सम्मानीय नहीं है !समाज में नारद मुनि की उपाधि झगड़ा लगवाने वाले चुगलखोर लोगों को ही दी जाती है !

वैसे इन दिनों जिस तरह की पत्रकारिता होती है उसे नारद ही सही ढंग से रिप्रेजेंट करते हैं जो पत्रकारिता नहीं प्रोपगैंडा है !अपवादों को छोडकर !
देखिये नारद देवों और दानवों में समान रूप से विचरण करते हैं लेकिन नारायण नाम का जाप करते हैं वैसे ही जैसे पिछले दिनों पत्रकार नमो नमो करने लगे थे ! इधर थोड़ा कम हुआ है !
नारद हमेशा देवताओं फायदे के लिए ही खबरें मैनेज करते नजर आते हैं ! जैसे उन दिनों पत्रकार प्रायः सत्ता पक्ष के लिए ही काम करता नजर आता है !
कई कथाएँ हैं जिसमें नारद की वजह से वैमनस्य बढ़ा और टकराव की नौबत आई ! इन दिनों संवेदनशील मुद्दों को जैसे मीडिया हैंडल करती है वह कई बार आगलगाऊ लगता है !
खैर ! जो गप्प को ही इतिहास समझते हैं वे ही नारद को पत्रकार मानेंगे !
नारद जयंति

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