मिशन 2018
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विडंबना है कि 2018 के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए साल के पहले दो हफ्ते बीत भी चुके हैं । तय किया था कि 2018 में कुछ ठोस लक्ष्य तय किए जाएँ और व्यवस्थित रुप से उस पर काम किया जाए , बावजूद इसके कि यह मेरा कमजोर पहलू है । रुटीन पालन करना मेरे लिए मुश्किल है ,यह जानतेहुए भी कि   बिना अनुशासन और व्यवस्था के कुछ हासिल करना असंभव है । हालँकि यह गजब विरोधाभास है कि रचनात्मकता का अनुशासन और व्यवस्था से विरोध ही रहा है , लेकिन उनके अभाव में रचनात्मकता कुछ हासिल नहीं कर पाती है । 
बहरहाल तय किया है कि 2018 में 
1 - कम से कम छह कहानियों का एक संग्रह पुरा किया जाए । फोकस लिखने पर ही रहेगा । छपवाने की चिंता नहीं करनी है । फेसबुक और अपनी वेबसाइट पर ही डाल दी जाएगी । 
2 - विचारात्मक लेखन में अ) एक सेक्युलर का हलफनामा ब) आत्मकथ्य -स्व से संवाद स) नास्तिकता के पक्ष में पोस्ट के सीरीज रुप में पुरा करना है ।
3 - पूर्वाग्रह पर एक संकलन विश्लेषण के साथ तैयार करना है । 
पढ़ने में साहित्य के अलावा 
- बैंकिंग पर नौकरी की जरुरत के हिसाब से पढ़ना है जो अक्सर हाशिए पर रह जाता है ।
-पिछले साल की अधूरी पढ़ी गयी किताबें पुरी करनी है।
- दर्शन और इतिहास पर इस साल विशेष रुप से पढ़ना है । 
- पढ़ी गयी किताबों पर पाठकीय प्रतिक्रिया लगानी है । 
3- इस साल चार राज्य की रोड ट्रिप करनी है 
- राजस्थान , गुजरात , पँजाब , मध्य प्रदेश 
( विदेश यात्रा को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाला जाए ।)
4 - समाज सेवा में OXFAM को माध्यम में कुछ बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाना है । साथ ही राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की "हर हाथ किताब " योजना के माध्यम से किताबें वितरित करनी हैं । 
दूसरे अपनी योजनाओं पर खुली चर्चा करनी है , इन्हें व्यवहारिक रुप देने की संभावनाओं और चुनौतियों पर विमर्श कर हुए क्रियान्वण आत करनी है , भले ही छोटे स्तर पर !
5 -  स्वास्थ्य प्राथिमकता रहेगी और व्यायाम, पौष्टिक भोजन जीवन का इस कदर हिस्सा होना चाहिए कि उसके लिए अलग से लक्ष्य निर्धारित करने की जरुरत न पड़े ।
