रविवार, 10 सितंबर 2017

घरेलू सहायक पर जाति छिपाने के लिए एफआईआर दर्ज करने पर प्रतिक्रिया

पिछले दिनों एक खबर प्रमुखता से छपी । जिसमें एक महिला वैज्ञानिक ने अपने घरेलू सहायक के प्रति शिकायत दर्ज की कि उसने अपनी जाति छिपाई और उसका "धर्म भ्रष्ट " कर दिया ।
इस मामले में कई चीजें स्पष्ट होती हैं जिसे बहुजन विचारक से लेकर साधारण कर्यकर्ता तक बार बार कहते रहे हैं ।
- पुलिस ने एफआईआर दर्ज भी कर लिया जो कि बलात्कार से लेकर चोरी तक जैसे संगीन मामलों में मुश्किल से होता है । लेकिन इस मामले में उस महिला वैज्ञानिक पर मुकद मा दर्ज करने के बजाए पीड़ित के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया । यह स्पष्ट है कि शासन तंत्र पर किस तरह कथित ऊँची जातियों का कब्जा है और कानून को तोड़ मरोड़ कर मनमानी व्याख्या द्वारा अपने हक में इस्तेमाल करती हैं ।
- वैज्ञानिक होना - कम से कम भारत में - अनिवार्यत: वैज्ञानिक सोच का होना नहीं है । यह दुर्भाग्यपुर्ण है कि भारत में विज्ञान और तकनीकि विषय पढ़ने वाले ही आधुनिक शिक्षा और तकनीकि का सर्वाधिक लाभ लेकर भी सामाजिक रुप से भयंकर परंपरावादी और तमाम कुरीतियों का पोषक है ।
- घरेलू सहायक यादव जाति की बतायी जाती है । पारंपरिक रुप से जातिगत सीढ़ी में यादव कम से कम अछूत नहीं है । बिहार और उत्तर प्रदेश में उसे दबंग जाति मानी जाती है और भाजपा जैसी पार्टियाँ पिछड़ों और दलितों को उनके खिलाफ लामबंद करने का प्रयास करती हैं - यह कह कर कि उसन आरक्षण आदि का सारा फायदा ये जातियाँ ले गयीं ।फिर भी ये स्पष्ट है कि घृणित ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद खुद को छोड़ कर सबको अपवित्र मानता है । इसलिए मध्य जातियाँ का हिंदू के नाम पर ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद को प्रश्रय देना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना है ।
- सारी महिलाएँ एक हैं - यह एक थोथा नारीवादी स्वप्न है , यथार्थ नहीं । महिलाएँ लैंगिग आधार पर एक मंच पर आने के बजाए अपने वर्ग , धर्म और जाति के साथ रहना अधिक पसंद करती हैं । यह तर्क स्वीकार्य है कि वर्तमान सामाजिक व्यवस्था में यह अधिक सुविधाजनक होता है , लेकिन इस आधार पर उच्च शिक्षित महिला को छूट नहीं दी जा सकती । वह भी उतनी ही आलोच्य है ।
- कहाँ है जाति , कहाँ है जाति पूछने वाले और सिर्फ आरक्षण को जातिगत भेदभाव मानने वाले सवर्ण धूर्तों को यह खबर आँख में उँगली डाल कर पढ़वानी चाहिए ।
-जिन्हें सिर्फ ब्राह्मणों को घरेलू सहायक रखने में जातिगत भेदभाव नहीं दिख रहा है और इसे व्यक्ति स्वातंत्र्य मान रहे हैं , खास उनके लिए एक विज्ञापन मैं देना चाहता हूँ ।
- आवश्यकता है एक कुलीन ब्राह्मण की जिसे सुबह सुबह नित्य क्रिया के समय मेरी गाँड धोनी पड़ेगी । मानदेय 10000/- रुपये महिना । दिन में सिर्फ मुश्किल से दस मिनट खर्च कर इतनी रकम बुरी नहीं है । किसी गरीब ब्राह्मण की मदद करने के लिए यह मेरा प्रयास है । उम्मीद है ब्राह्मण इसे अन्यथा न लेंगे । इच्छुक ब्राह्मण कमेंट में संपर्क करें ।
शुक्रिया !

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